पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६९५

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लॉर्ड विलियम बेण्टिक

लॉर्ड विलियम बेण्टिक १०६१ घटना कि-'इस प्रकार तुमने बम्बई प्रान्त को प्रागरा प्रान्त के साथ जोर देने का एक बहुत अच्छा मौका हाथ से खो दिया ।" जॉन होप इस सम्बन्ध में एक और अत्यन्त मनोरञ्जक घटना __ सुनाता है। वह लिखता है- एक मनोरक्षक "कोई यह न समझे कि xxx दूसरी रियासतों के साथ लॉर्ड विलियम बेण्टिक की नीति को इस प्रकार संक्षेप मे चित्रित करने में हमने थोड़ा बहुत भी उस पर अपना रंग चढ़ाया है। हम मिसाल के तौर पर एक मनोरञ्जक घटना बयान करते हैं, जो कि इस समय के जीवित लोगों में केवल तीन या चार को मालूम है और जिससे हमारे इस कथन का काफी समर्थन होगा कि देशी रियासतों के अधिकारों के विषय में लॉर्ड बेण्टिङ्क हज़रत मूसा की उस दसवीं भाज्ञा की बिलकुल परवा न करता था जिसमें कहा गया है कि-'अपने पड़ोसी का माल कभी न छीनना ।' बात यह थी कि मिस्टर कैवेनटिश की जगह मेजर सदरलैण्ड रेज़िडेण्ट नियुक्त हुआ Ix x x मेजर सदरलैण्ड यह जानने के लिए कि ग्वालियर पहुंच कर किस नीति का पालन किया जाय, अर्थात् वहाँ के रियासत के मामलों में हस्तक्षेप किया जाय या न किया जाय, गवरनर जनरल से मिलने के लिए कलकत्ते गया। लोर्ड वेण्टिङ्क को x x x मज़ाक का शौक था। उसने फौरन् जवाब दिया- 'मेजर इधर देखो।' यह कह कर लॉर्ड बेण्टिङ्क ने अपनी गरदन पीछे को लटका दी, मंह खोल दिया और अंगूठा और एक उँगली इस प्रकार मुंह में देकर, जिस प्रकार कि कोई लड़का मिठाई मुंह में डालने लगता है, चकित मेजर से मुखातिब होकर कहा-'यदि ग्वालियर की रियासत प्रापकं मुंह में पाकर गिरने लगे