पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१०५

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इसलाम और भारत

इसलाम और भारत ७७ "मै इस खड्ग को उस समय तक रक्तूंगा, जब तक कि मेरा वह चचा, जो मक्का गया है, लौट न आए।" सामुरी ने अपने राज मे मुसलमानों को हर तरह की सहायता दी। कोई नय्यर किसी नम्बूतरी ब्राह्मण के बराबर में न बैठ सकता था, किन्तु कोई भी मुसलमान बैठ सकता था। मुसलमानों का धर्मगुरु थङ्गल सामुरी के साथ साथ पालकी में निकलता था। अरबों और मुसलमानों की मदद से सामुरी ने अपने राज की सीमाओं को खूब बढाया, और राज की समृद्धि मे बहुत बड़ी उन्नति हुई । वर्तमान कालीकट का नगर उस समय के एक मुसलमान काजी ही का बसाया हुआ है । मलबार के राजाओं की जल सेना के सेनापति अधिकतर मुसलमान ही होते थे, जो 'अलीराजा' कहलाते थे। इसलाम धर्म के प्रचार में भी सामुरी ने खूब सहायता दी । यहाँ नक कि उसने अाज्ञा दे दी कि हर हिन्दू मल्लाह के घर के कम से कम एक लडके को बचपन से मुसलमानों की तरह शिक्षा दी जाय । यही आजकल के मोपलों की उत्पत्ति है। मोपला शब्द का अर्थ महापिल्ला यानी ज्येष्ठ पुत्र है। मुसलमान फकीर और प्रचारक इसी बीच समय समय पर असंख्य मुसलमान फकीर और विद्वान कुछ समुद्र के रास्ते और कुछ अफ़ग़ानिस्तान के रास्ते अरब और ईरान से आ आकर भारत के अनेक भागों में बसते गए। हर जगह उनका खूब आदर सत्कार होता था।

  • Logan

+ Innes Malabar, vol 1, p. 231, Malabar and anyenge District Gazetter, P 190