हमारा कर्तव्य में डाल दिया, और जिसके विषय में उस समय के गवरनर जनरल को स्वीकार करना पड़ा कि 'उस आन्दोलन की सफलता में केवल एक इंच की कसर बाकी रह गई थी,' और 'मैं हैरान और परेशान था,' केवल १५ साल का। ब्रिटिश साम्राज्य की हालत स्वयं इंगलिस्तान के ऊपर रोमन लोगों की हुकूमत चार सौ साल तक जारी रही। उसके बाद सदियों नॉर्मन जाति के लोगों ने इंगलिस्तान को अपने अधीन रखा। इंगालिस्तान निवासियों को रोमन लोगों या नॉर्मन लोगों के राजनैतिक चंगुल से अपने को मुक्त करने में, आइरिश जाति को अंगरेजों के पंजे से अपने को आज़ाद करने में, अमरीका को इंगलिस्नान का जुत्रा अपने ऊपर से उखाड़ कर फेंकने मे, इतालिया को ऑस्ट्रिया की पराधीनता से छुटकारा पाने में या अपने ही देश में रूस को ज़ार की अत्याचारी सत्ता का अन्त करने में यदि ध्यान से देखा जाय तो इससे कम समय नहीं लगा। भारत जैसे प्राचीन और विशाल देश का अपने प्रियतम आदर्शों के विरुद्ध नई परिस्थिति के अनुसार अपने जीवन को ढाल सकना और इस नए ढंग के संग्राम के लिए अपने तई सुसजद्ध कर सकना आसान काम नहीं है। फिर भी इसमें किसी को सन्देह नहीं हो सकना कि इस विषय में भारत की जनता के अन्दर जागृति और तत्परता दिन प्रति. दिन वेग के साथ बढ़ती जा रही है। हर नया आन्दोलन पिछले आन्दोलन की अपेक्षा हमें साफ सैकड़ों कदम आगे पहुँचा देता है। दूसरी ओर जिन His programme came withua an inchof success,' stood puzzled and perplexed, '-Lord Reading atCalcutta on the.Non-Cooperation Move- ment of 1921
पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/२४१
दिखावट