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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज पास अपने इस कथन के लिये काफी अच्छे प्रमाण थे। उस समय के तमाम उस्लेवों को पूरी तरह छान बीन करने के बाद सर हेनरी यूल के दिल पर यह असर पड़ा कि बंगाल की खाड़ी के अंदर कम्पनी के मुलाजिमों की नैतिक और सामाजिक अवस्था निस्सन्देह भयंकर' थी।"* थोड़े ही दिनों में खास कर बम्बई के अन्दर अंगरेज़ सौदाग के ___ अत्याचार इतने बढ़ गए कि उनकी शिकायत औरंगज़ब और औरंगजेब के कानों तक पहुँची । फौरन अंगरेज़ औरंगजेब ने हुकुम जारी कर दिया कि इन लोगों को कोठियाँ जब्त कर ली जायें और इन्हें मार कर हिन्दी- स्तान से बाहर निकाल दिया जाय । सूरत, विशाखपट्टन आदि कई स्थानों की अंगरेजी कोठियाँ जन्त कर ली गई और वहाँ से अगरेजो को निकालकर बाहर कर दिया गया। वम्बई को घेर लिया गया। किन्तु ये लोग काफ़ी चालाक थे, वे फौरन औरंगजेब के कदमों पर गिर पड़े। उन्होंने कान पकड़ कर अपनी पिछलो खतानो के लिये माफ़ी चाही। आइन्दा के लिये नेक चलनी का वादा किया और मुग़ल सम्राट से जाँबख्शी की प्रार्थना की। • " The English R Bengal cere equally notorious tor their quarrels ... The old Ricerty, Shajista Khan caled them' acompany of base, quarrelling People and foul dealers, and our great modern authority will not gaunsay that the noble had good grounds for his assertion The Impression of the moral and soval tune of the Copypary's serrants in the Bay which has been left On the mu.dot Si-Herryile by his exhaustive study of the secords of the time is 'certainly adismat one'"--Dr CRIFilson's Early Aruals of the English in Bengal, rok P.66 T"Stopped to the most abjectsubmisston -Mall, book i, chapr.