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भारत में अंगरेज़ी राज

7 . भारत में अंगरेजी राज औरंगजेब के बाद मुगल साम्राज्य की निर्बलता का समय आया। अंगरेजों को मौका मिला, उनके अत्याचारों ने और अधिक गम्भीर तथा भयंकर रूप धारण किया। इस बीच धीरे धीरे भारत के पूर्वी तथा पच्छिमी तटों पर ईस्ट इण्डिया कम्पनी की अनेक नई कोठियाँ बन गई। अंगरेजी व्यापार भारत में बढ़ता गया। कम्पनी के पत्तीदार और छोटे बड़े मुलाजिम सभी भारत के धन से मालामाल हो गए । औरंगजेब की मृत्यु के ठीक पचास साल बाद बंगाल में अंगरेजी राज की नींव रक्खी गई, जिसकी कहानी एक दूसरे स्थान पर वयान की जायगी। अन्तिम यूरोपियन कौम, जो इस सिलसिले में भारत आई, . फ्रांसीसी थी। फ्रांसीसी या फ्रेन्च झांस देश के " रहने वालों को कहते हैं। ईस्ट इण्डिया कंपनी प्रवेश " के मुकाबले की एक फ्रांसीसी कंपनी ठीक उसी उद्देश से सन् १६६४ ईसवी में कायम हुई : फ्रांसीसियों ने सन् १६६८ में सूरत, सन् १६६६ में मछलीपट्टन और सन् १६७४ में पुद्दुचरी (पाण्डिचेरी) में अपनी कोठियाँ बनाई। ___फांसीसियों की नीति प्रारम्भ से यह थी कि वे भारतीय शासकों की खुशामद करके जिस तरह हो उन्हें अपने पक्ष में रखने की कोशिश करते थे। पुद्दुचरी का नगर उस समय करनाटक Likely enough his native subjects around there wera jealous and disposed to be quarreisome way should not Firangbees derend thernselves as best they might - Poor people ' ther- had come a long way, and seerted to work hard --he would not interiere -Torrens' Engare an Asra, pp.a. S.