पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/२९५

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सिराजुद्दौला

सिराजुद्दौला का एक रिश्तेदार और मुर्शिदाबाद के सूबेदार के अधीन उसका एक सामन्त था। सिराजुद्दौला सेना लेकर पूनिया सिराजुद्दौला के ___ की ओर रवाना हुश्रा। खबर सुनते ही शौकतजंग मातहतों को फोहना नज़राने लेकर स्वागत के लिए आगे बढ़ा। शौकत- जंग ने अपने तई बेकसूर बतलाया और अंगरेज़ों के वे सब पत्र सिराजुद्दौला के सामने रख दिए, जिनमें अंगरेजों ने शौकतजंग को सिराजुद्दौला के खिलाफ भड़काया था !* किन्तु सिराजुद्दौला की उदारता असोम थी, उसने शौकतजंग को बहाल रक्खा और अंगरेजों के साथ भी दया और क्षमा का बर्ताव जारी रखा । अंगरेजों और फ्रांसीसियों दोनों के नाम उसने केवल यह श्राज्ञा जारी कर दी कि आप लोग श्राइंदा न कोई नया किला बनाएँ और न किसी पुराने किले की मरम्मत करें। फ्रांसी- लियों ने नवाब की श्राज्ञा मान ली, किन्तु अंगरेजों ने इस पाना का और आज्ञापत्र कलकत्ते ले जाने वाले हरकारों दोनों का खुले अपमान किया। गवाव मुर्शिदाबाद का एक दीवान उन दिनों ढाका में रहा करता था। उस समय के दीवान राजा राजवल्लभ को अंगरेजो ने अपनी ओर मिला लिया । सिराजुद्दौला राजवल्लभ से नाराज़ हुश्रा। अंगरेजो ने राजवल्लभ के बेटे राजा किशनदास को कलकत्ते वुलाकर अमीचंद के मकान के अन्दर आश्रय दिया। राजवल्लभ को तमाम धन सम्पति भी किशनदास के साथ कलकत्चे श्रागई । सिराजुद्दौला

  • Bengal in 1756-1757,00l. inp 164