पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/३२८

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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज की शांति भंग न करोगे; किन्तु अब मालूम होता है कि तुम हुगली के पास की फ्रांसीसी कोठी का मोहासरा करने और फ्रांसीसियों से लड़ाई शुरू करने की तसवीज़ कर रहे हो ! यह बात हर कायदे और रिवाज के खिलाफ है कि तुम लोग अपने यहाँ के आपसी झगड़ों और दुश्मनियों को मेरे देश में लाओxxx अगर तुमने फ्रांसीसी कोठियों का मोहासा करने की ठान ही ली है, तो मेरी अपनी आन और अपने बादशाह की और मेरा फर्ज दोनों मुझे मजबूर करेंगे कि मैं अपनी फ़ौज से क्रांसीसियों की मदद करूँ। मालूम होता है अभी हाल में जो सन्धि मेरे तुम्हारे बीच हुई है उसे तुम तोड़ना चाहने हो। इससे पहले मराठों ने इस राज पर हमला किया था और बरसों इस देश में लड़ाइयाँ जारी रखी । किन्तु जब एक बार झगडा तय हो गया और उनके साथ संधि हो गई, तो उन्होंने कभी सन्धि की शर्तों का उल्लङ्घन नहीं किया और न वे कभी आइन्दा उन शर्तों से हटेंगे । जो सन्धियाँ निहायत सञ्जीदगी के साथ की जाती है उनकी कतई परवा न करना और उन्हें तोड़ देना ग़लत और बुरा तरीका है। निस्सन्देह तुम्हारा फर्ज है कि तुम अपनी और की शर्तों पर ठीक ठीक कायम रहो और आइन्दा मेरे मातहत सूबों में न कभी किसी तरह के झगड़ों या छेड़ छाड़ को अपनी तरफ से कोशिश करो और न अपने सबब कोई झगड़ा खड़ा होने का मौक़ा दो। दूसरी ओर से जो कुछ मैंने वादा किया है और मंजूर कर लिया है उसे मैं बिलकुल ठीक ठीक समय पर पूरा करूँगा xxx इस पत्र की भाषा विलकुल सरल और निष्कपट है, किन्तु दूसरेही दिन सिराजुद्दौला को फिर एक पत्र इस मज़मून का लिखना पड़ाः-

  • Ives voyages, pp 119, 120