सिराजुदौला में और लड़ाई के खर्च के लिए मीर जाफ़र कम्पनी को एक करोड़ रुपए दे । इसके अलावा अलग अलग लोगों के नुकसान के लिए कलकत्ते के अंगरेज बाशिंदों को ५० लाख, हिन्दू वाशिंदों को २० लाख और आरमीनियन बाशिंदों को ७ लाख रुपए दिए जायें। कलकत्ते की खंदक के अंदर और बाहर चारों ओर ६०० गज़ तक की ज़मीन अंगरेजों को दे दी जाय, साथ ही कलकत्ते के दक्खिन में हुगली नदी और नमक की झोलों के दरमियान कालपी (बंगाल) तक तमाम इलाके की ज़मीदारी अंगरेजों को दे दी जाय । जब कभी. अपनी रक्षा के लिए नवाब को अंगरेजी सेना की ज़रूरत हो, नवाब उसका खर्च अदा करे। हुगली के नीचे दरिया के ऊपर नवाव किसी तरह की किल बंदी न करे । मसनद पर बैठने के तीस दिन के अंदर मीर जाफर इन शर्तों को पूरा कर दे और जब तक वह इस सन्धि के अनुसार चलता रहेगा, कम्पनी उसे उसके शत्रुओं को दमन करने में मदद देती रहेगी। साज़िश अब पूरी तरह पक चुकी थी, किन्तु वाट्स और कई . अंगरेज अभी तक मुर्शिदाबाद में मौजूद थे। दोनों ओर से लड़ाई का खुला एलान करने से पहले उन्हें वहाँ सेनाओं का से हटा लेना जरूरी था। १२ जून की शाम को 'बागों में हवा खोरी करने के लिए वाट्स और उसके अंगरेज साथियों ने नवाब से इजाजत ली और इस बहाने रातों रात वे मुर्शिदाबाद से भाग
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