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तीसरा अध्याय पक्षपात का प्रारम्भ मीर जाफर विश्वासघात करने वालों में किसी तरह की भी उच्च मानसिक या नैतिक खूबियों का मिलना करीब करीव हिन्दू-मुसलिम नाममकिन है। इसलिए कोई अचरज नहीं कि शासक की हैसियत से मीर जाफर अयोग्य, कमजोर और अदूरदर्शी साबित हुआ । इसके अलावा वह इस समय क्लाइव और उसके अंगरेज़ साथियों के हाथों की कठपुतली था। क्लाइव की इच्छा के खिलाफ वह कोई काम न कर सकता था। मुर्शिदाबाद के एक हाज़िर तबीयत दबारी ने मीर जाफर का नाम "करनल क्लाइव का गधा" रख रक्खा था और मीर जाफ़र की मृत्यु के समय तक यह उपाधि उसके साथ लगी रही। दिल्ली सम्राट का दरबार इस समय तक काफी निर्बल हो चुका