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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/३७८

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भारत में अंगरेज़ी राज

१२२ भारत में अंगरेजी राज केलो (Carl land) बंगाल में कम्पनी की सेनाओं का प्रधान सेना- पति नियुक्त हुआ। सन् १७६६ के अन्त में शहज़ादे अलोगौहर ने दूसरी बार बिहार पर चढ़ाई की ! इस बीच बंगाल की सन्नाट शाह आलम अफसोसनाक हालत को और अनेक शिकायते की उंग यात्रा मुग़ल दरवार तक पहुँच चुकी थीं। इसके सिवा नाम को तो बंगाल अभी तक सम्राट के अधीन था, किन्तु आए दिन की बग़ावतों के सबब बंगाल से दिल्ली खिराज जाना कई साल से बन्द था । इन शिकायतों को दूर करना और शाही खिराज वसूल करना शाहज़ादे की इस चढ़ाई का उद्देश था। शहज़ादे की सेना ने अभी बिहार प्रान्त में कदम रक्खा ही था कि शहज़ादे को सम्राट आलमगीर दूसरे की मृत्यु का समाचार मिला । शाहज़ादा अलीगौहर अब दिल्ली से बाहर होते हुए भी, शाहआलम दूसरे के नाम से सम्राट ऐलान हुआ और भारत- सम्राट ही की हैसियत से उसने अब बिहार में प्रवेश किया। शाह आलम अब मुग़ल साम्राज्य का अनन्य अधिपति था। उसकी फ़रमांबरदारी हर सूबेदार, तमाम प्रजा और यूरोपियन व्यापारियों सब पर वाजिब थी। किन्तु अंगरेज़ों की नीति उसकी तरफ कुछ अजीब रही। एक तरफ उन्होंने मीर जाफर और मीरन दोनों पर इस बात के लिए ज़ोर दिया कि आप लोग अपनी सेना सहित पटने पहुँचकर सम्राट का मुकाबला कीजिए और सम्राट की सेना के बिहार में प्रवेश करते ही करनल केलो फौरन अपनी सेना सहित