पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/३९१

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मीर जाफ़र

मीर जाफर इस पर कड़ी से कड़ी माँगें पूरी करने के लिए उसे मजबूर किया जाता थाxxx मौलवी बदरुद्दीन अहमद ने लिखा है कि जो माँग इस समय अंगरेजों ने मीर जाफर के सामने पेश की उनमें एक यह भी थी कि श्रीहट्ट ( सिलहट ) और इसलामाबाद के इलाकों के 'फौज- दारी' के अधिकार कम्पनी को दे दिए जायें। मीर जाफर इस हद तक जाने के लिए तैयार न था। उसने अपने विश्वस्त और होशियार दामाद नौजवान मीर कासिम को अंगरेजों से बातचीत करने के लिए कलकत्ते भेजा। १५ सितम्बर सन् १७६० की गुन लभा में अंगरेजों ने नय . किया कि मीर कासिम और राजा दुर्लभराम इन म दोनों को भी इस नई साजिश में शामिल कर साथ गुप्त सन्धि लिया जाये और राजा दुर्लभराम की मार्फत सम्राट शाह अालम को अपनी ओर करने की कोशिश की जाये। यह भी तय हुश्रा कि कुछ मामूली लोगों को खास खास नौकरियों - si.tent, .othenant money want thats utartinedo l ore From which greath desent, "The operattoys on the cust ' The redu tuol Porte heils are Theroisorota. Errestment for in muf TET nps tarhetorespretderisirs'-Proceedavera Fore Mitainm limsopment 1760Rxst Report,17, 228 220

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