पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/३९७

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मीर जाफ़र

मीर जाफर १३६ हाथ तमाम मामले का फैसला कर दें। अन्त में बूढ़ा मोर जाकर इस दर्जे थका हुआ मालूम हुआ कि अंगरेज़ों को मजबूर होकर उसे आराम करने और फिर विचार करने के लिए अपने महल लौटने की इजाजत देनी पड़ी। अंगरेज़ों ने यह भी देख लिया कि बिना थोड़ी बहुत ज़बरदस्ती किए मीर जाफर राज की भाग मीर कासिम के हाथों में देने के लिए राज़ी न होगा। मौर जाफर के जाने के दो घंटे बाद मीर कासिम वहाँ पहुँचा । मीर कासिम इस समय मीर जाफर के सामने जाने से डरता था । १६ सा० मीर जाफर को विचार करने के लिए दी गई, किन्तु उस दिन मीर जाफर की तरफ से कोई जवाब न मिल सका । फौरन वन्सीटार्ट और उसके साथियों ने ज़बर- दस्ती करने का निश्चय किया । १६ की रात को महल के अन्दर किसी त्यौहार की तकरीत्र में दावत थी । तमाम लोग थक कर सोए हुए थे। अंगरेजों ने उस मौके को बहुत गनीमत समझा। चुपचाप रात को तीन बजे करनल केला ने दो कम्पनी गोरों की और के कम्पनी काले सिपाहियों को लेकर नदी को पार किया और पौ फटते फटते मीर कासिम और उसके कुछ आदमियों को साथ लेकर मोर जाफ़र को महल के अन्दर सोते हुए जा घेरा । सब काररवाई अच्छी नरह गुप्त रक्खी गई, चूँ कि महल के अन्दर के सहन के फाटक बन्द थे इसलिए केलों में बाहर के सहन में अपने सिपाहियों को खड़ा कर दिया। मीर जाफर के पास वन्सीटार्ट का एक पत्र भेजा गया ! मीर जाफर पत्र पढ़कर एकबार क्रोध से भर गया। उसने मुकाबले का इरादा जाहिर किया। करीब दो घंटे तक संदेश आते जाते रहे । अन्त में अपनी बेबसी को पूरी तरह अनुभव कर भीर जाफर ने मीर कासिम को बुलवा भेजा और मसनद उसके सुपुर्द कर देने की रजामन्दी जाहिर की।