पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/४०१

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मीर जाफ़र

मीर जाफर १४३ गए ! इन तीनों जिलों के लिए मुर्शिदाबाद के दरबार से कम्पनी के नाम अलग अलग सनद जारी कर दी गई। वर्धमान के लिए जो सनद जारी की गई उसमें लिखा है कि वहाँ के जमींदार और काश्तकार दोनों पहले की तरह कायम रहेंगे, केवल सरकारी माल- गुज़ारी का जो रुपया अभी तक सूबेदार के कर्मचारी वसूल करके मुर्शिदाबाद भेजा करते थे, वह आइन्दा कम्पनी के नौकर वसूल करके कम्पनी के पास कलकत्ते भेजा करेंगे और इस धन के खर्च से कम्पनी साम्राज्य की रक्षा के लिए या जब ज़रूरत हो, सम्राट या सूबेदार की मदद के लिए, पाँच सौ यूरोपियन सवार, दो हज़ार यूरोपियन पैदल और आठ हज़ार हिन्दोस्तानी सिपाहियों की एक सेना रक्खेगी। इसी तरह की सनद मेदिनीपुर और चयाम के लिए भी जारी की गई। ___ इसके अलावा वन्सीटार्ट और केलो ने कलकत्ता कमेटी को लिखा कि इस बगावत से :- ___"निस्सन्देह कम्पनी को बड़ा लाभ हुआ है । x x x पटनं को फ़ौज को देने के लिए करनल के हाथ रुपए की रक्कम भेजी जावेगी और हमें यह भी आशा है कि इसके अलावा कलकत्ते भेजने के लिए हमें तीन या चार खाख रुपए और मिल जावेंगे, जिनसे कम्पनी की वहाँ की और मद्रास की इस समय की ज़रूरतें पूरी हो सकेंगी।"*

  • The advantages to the Company are great indeedi. . . . . A

supply ut none will he sent with the Colonel for the pas ment of the troops ___at Patna and are even some hopes of otidining three or tour lacks