पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/४१

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लेखक की कठिनाइयां

लेखक की कठिनाइयां जब हम यह सब देखते हैं तो हर ईमानदार लेखक या पाठक का . इस तरह के इतिहास की सच्चाई पर सन्देह' करना कुदरनी है।" यह दोहराने की ज़रूरत नहीं है कि स्वयं अंगरेज़ गवाहों ही के अनुसार विलियम नेपियर का ऊपर लिखा बयान बिल्कुल कल्पित, झूठा और निराधार है। आज से केवल म साल पहले जिस समय सिन्ध पर ईस्ट इण्डिया कम्पनी का कब्ज़ा हुआ, उस समय सिन्ध के असीरों और सिन्ध की प्रजा दोनों का सार्वजनिक और व्यक्तिगत चरित्र नेपियर और उसके देश- चासियों के चरित्र की निस्बत कही अधिक पवित्र और ऊँचा था । नेपियर ने अपनी पुस्तक में जिस तरह सिन्ध निवासियों के चरित्र पर निराधार ठे कलङ्क लगाए हैं, उसी तरह सिन्ध के अमीरों को भी बदनाम करने की भरसक कोशिश की है । जिन अमीरों ने कभी जीवन भर किसी मादक द्रव्य को अपने पास नहीं आने दिया, जो तम्बाकू के धुएँ तक से बचते थे, और जो स्त्री जाति के सतीत्व की रक्षा का गैर मामूली ध्यान रखते थे, उनको नेपियर ने शरावी और कुचरित्र चित्रित किया है। हम ये सब बातें सर्वथा विश्वस्त अंगरेज़ लेखकों ही के आधार पर लिख रहे हैं । इन बातों का विस्तृत हाल पाठकों को इस पुस्तक के अन्दर सिन्ध के अध्याय में पढने को मिलेगा।

  • "There are many statements nt hestory which It is .mmaternal to

substanuate or disprove Splendid pictures of public virtue have often Produced their good it orce received as face Rut wltern pnvare character 15 at stake, every conscentious writer or reader wil cherishius historic donbis, when he reffects on the tacility with which calumny is sent abroad, the avidity with which it is received, and the careless ease with which mern creatt what it costs little to invent and 'propogate. but requires amage at trouble, and an almost impossible conjunction or opportunities, eltectually to refute".-Prattan' sHistory of theNetherlands, vol.1p242