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भारत में अंगरेजी राज


शब्दों में उसने लिखा कि—"कम्पनी के जो तिलंगे सिपाही सम्राट और सूबेदार की सहायता के लिए कह कर रक्खे गए थे और जिनके ख़र्च के लिए मैं कम्पनी को पचास लाख रूपए की जमींदारी दे चुका हूँ वे अब देश भर में मेरे और मेरे आदमियों के विरुद्ध काम में लाए जा रहे हैं।" अन्त को एक पत्र में उसने साफ़ साफ़ लिखा कि—"मुझे मालूम हुआ है कि बहुत से अंगरेज़ एक दूसरा सूबेदार खड़ा करना चाहते हैं। ××× हर शख़्स पर जा़हिर है कि यूरोपवालों का एतवार नहीं किया जा सकता।"

मीर का़सिम के साथ अंगरेजो़ के इस समय के व्यवहार की आलोचना करते हुए मालेसन लिखता है:—

"जो अनुचित, नीच और शर्मनाक काररवाइयाँ मीर जाफ़र को मसनद से हटाने के बाद तीन साल तक कलकत्ते की अंगरेज़ गवरमेण्ट ने की उनसे अधिक अनुचित, अधिक नीच और अधिक शर्मनाक काररवाइयों को मिसाले किसी भी कौम के इतिहास में नहीं मिलती।"

मालेसन यह भी लिखता है कि—"मीर का़सिम का एक मात्र कसूर यह था कि उसने यूरोप निवासियों की लूट से अपनी प्रजा की रक्षा करने की कोशिश की।" इस पर भी “मीर का़सिम

  • The annais of no nition contain records of conduct more uns orth

more mean, and imore disgraceful, than that which characterised the English Government of Calcutta during the three years which tollowed the removal ___of Mix Jadar"-The Decsize Batties of India, P 133 “Whose only. fault १९ ]us endeavour to protect his ___Subjects from Europeast extortion."-Ibrd, P 136