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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत म अंगरेजी राज भी हुई। अन्त में महाराजा शितावराय ने बीच में पड़ कर नीचे लिखी शतों पर कम्पनी और शुजाउद्दौला में सुलह करवा दी:- -युद्ध में कम्पनी का जो खर्च हुआ है उसके लिए शुजाउद्दौला पचास लाख रुपए कम्पनी को दे । पञ्चीस लाख फौरन् और पञ्चीस लाख मालाना किस्तों में। २-इलाहाबाद के आस पास का प्रान्त जो इससे पहले अवध के सूर्व मे शामिल था, सम्राट के उपयोग के लिए अलग कर दिया जाय। इलाहाबाद का शहर और किला सम्राट के रहने के लिए नियुक्त हो और इलाहाबाद के किले में सम्राट की रक्षा के लिए कम्पनी की एक सना रहे। ३-गाजीपुर और उसके पास पास का इलाका कम्पनी को टे दिया जाय। ४-अंगरेजों का एक वकील शुजाउद्दौला के दरबार में रहा करे, किन्तु नवाव शुजाउद्दौला के राज प्रबन्ध मे वह किसी तरह का दखल न दे। ५- आइन्दा हर पक्ष दुसरे पक्ष के शत्रु या मित्र को अपना शत्रु या मित्र ममझे अवध के नवाब वजीर के साथ अंगरेजो की यह पहली सन्धि थी। अवध की नवावी का प्रारम्भ सन् १७२० के करीब दिल्ली दरवार को निर्बलता के दिनों में हुआ था। दिल्ली के सम्राट ने पहले नवाव सादत खाँ को अवध का सूबेदार नियुक्त करके भेजा था। उसके बाद सआदत स्वाँ के भतीजे दूसरे नवाब सफदरजंग ने दे