पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/४८९

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२२३
मीर जाफर की मृत्यु के बाद

मोर जाफर की मृत्यु के बाद २२३ "अपनी इच्छा के विरुद्ध मजबूर होकर यह प्रार्थना स्वीकार करनी पड़ी।" क्लाइव अब अपना उद्देश पूरा कर इलाहाबाद से कलकत्ते वापस या गया। क्लाइव जब मुर्शिदाबाद से बनारस के लिए रवाना हुआ था उसी समय अचानक नवाब नजमुद्दौला की मृत्यु नजमुद्दौला की हो गई। जिन हालात में यह मृत्यु हुई वे काफी हत्या शक पैदा करने वाले थे। 'सीअरुल-मुताख़रीन' सं मालूम होता है कि नजमुद्दौला और मोहम्मद रजा खां दोनों मुर्शिदाबाद के वाहर एक बाग तक लाइव को छोड़ने के लिए आए। क्लाइव के रवाना हो जाने पर जब ये दोनों अपने अपने महलों की ओर लौटे तो मार्ग ही में नौजवान नवाव के पेट में एकाएक ज़बर दस्त दर्द पैदा हुआ और महल तक पहुँचते पहुँचने उसकी मृत्यु हो गई। लिखा है कि उन दिनों आम लोगों का ज़ोरों के साथ यह ख़याल था कि मोहम्मद रज़ा खाँ ने नजमुद्दौला को मरवा डाला। ___मोहम्मद रज़ा खाँ अंगरेजों का खास आदमी था। वेरेल्स्ट नामक अंगरेज़ के एक खत में मालूम होता है कि कलकत्ते में उन दिनों यह ज़बरदस्त अफवाह थी कि नवाब नजमुद्दौला की हत्या में लॉर्ड डाइव और उसके कई अंगरेज साथियों की साजिश थी।* इसमें संदेह नहीं, क्लाइव नजमुद्दौला के खिलाफ़ था। पाँच लाख रुपए नकद ले लेने के बाद उसने डाइरेक्टरों के नाम एक ख़त में लिखा-"नजमुद्दोला के हाथों में सत्ता सौंप देना और खैरियत से , Thu RO 1 1773 P. 325