मीर जाफर की मृत्यु के बाद २२७ उस समय के अंगरेज हिन्दोस्तानियों पर जिस तरह के अत्या- चार करते थे उनके विषय में क्लाइव ने लिखा:- "जो यूरोपियन एजण्ट और जो बेशुमार काले मे अपूर्व अन्याय (हिन्दोस्तानी) एजंट और सब एजंट कम्पनी के मुला- ज़िमों के अधीन काम करते हैं, उन सब ने प्रजा पर जुल्म करने और उन्हें पीडा पहुचाने के जो तरीके जारी कर रखे हैं, वे मुझे डर है कि इस देश में अंगरेजों के नाम पर सदा के लिए एक कलंक रहेगे।xxx मैं देखता हूं कि हर आदमी में बड़े बनने और धन कमाने की इच्छा, उसमें सफलता और ऐश परस्ती, इन तीनों ने मिलकर एक नई किस्म की राजनीति प्रचलित कर दी है, जिससे अंगरेज कौम की इज्जत, कम्पनी पर लोगों का विश्वास और मामूली इन्सान और इन्सानियत--सब का खून हो रहा है।"* ___ net, ]ion S ent lieonon, and lut, to he.ser.plovers, Inteen + rangel m ein razer Part - their Rimmediate advantant The sudden, Indmong nunny, the unsorrntabli cqul-tion of Thes, nud introrlund iuxury in estrr hapr, nd u. Its mrt parutious Treer hepi imategiris ind sored mong the Cud Paltarv alon in to the with 1, the en- ign, and the tree merchant Biturrined throre ed these 101% sources wealth Insurder et astonishment tand Antyidual audelranirhud that their us Airce Agentleman In the Lettiement ho halosed uTorrn short Yod for is returth England with tuence " nches, the bane ot d uplire, were daulv pronoting the run our army h er err utterrd Trimucentrol, teri ko purNSIO]l, tor themselves, of the whole hootv doation mones and plunder, on the capture of a city The I can sure roup toil Benares, ind, Alt more ring the then f.overnor ord Council ofor from laying in a tlaun to moiety whehought to have been reserved for the torpany, agreenhip to those positive orders fror the Court Directors . IP IT १५०, gave up the whole to the captors
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