पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/५१८

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२५०
भारत में अंगरेज़ी राज

२५० भारत म अगरेज़ी राज रानी समेत भाग कर वहाँ पहुँचा ! अन्त में रामनगर का किला भी जीत लिया गया और चेतसिंह ने एक गृहविहीन बटोही की तरह वहाँ से भागकर ग्वालियर की रियासत में अपने शेष दिन विताए । हस्टिग्स ने फौरन उसकी जगह उसी कुल के एक १४ साल के लड़के को बनारस की गद्दी पर बैठा दिया। बनारस का लूट कम्पनी का खिराज बढा कर बीस लाख रुपए और घरबादी सालाना कर दिया गया। नए महाराजा के अनेक अधिकार छीन कर रेजिडेण्ट को दे दिए गए । शासन प्रणाली और राज कर्मचारियों में अनेक उलट फेर हुए। प्रजा पर अब नित्य नए अत्याचार होने लगे। दुखित और बे सरदार की प्रजा ने नए अमलदारों और उनके अत्याचारो के विरुद्ध बार बार विद्रोह किया और सत्याग्रह किए, किन्तु अन्त को जिसकी लाठी उसकी भैंस ।' लूट खसोट और नई अमलदारी का नतीजा यह हुआ कि "थोड़े दिन पहले जहाँ सुख और शान्ति विराजमान थी वहाँ अब दुख और असन्तोष ने उसकी जगह ले ली।" दो साल बाद जब वारन हेस्टिंग्स फिर बनारस गया तो उसे तमाम नगर उजड़ा हुआ दिखाई दिया ।* श्रावादी घटते घटते सन् २०२२ में केवल दो लाख रह गई।

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