पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/५३

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वे और हम

के और हम यूरोप में फैली, उससे इस बात का साफ़ पता चलता है कि लोगों मे दुराचार कितने भयंकर रूप में फैला हुआ था । यदि हम उस समय के लेखकों पर विश्वास करें तो विवाहित या अविवाहित, ईसाई पादरी या मामूलो गृहस्थ, पोप लियो दसर्वे से लेकर गली के भिखमंगे तक कोई वर्ग ऐसा न था जो इस रोग से बचा रहा हो।xxxइंगलिस्तान की आबादी पचास लाख से भी कम थी।xxxकिसान अपनी ज़मीन का मालिक न होता था। ज़मीन ज़मींदार की होती थी और किसान केवल उसका मज़दूर और चौकीदार होता था । ऐसी हालत में दूसरे देशों की तिजारत ने समाज में हलचल मचानी शुरू की। श्राबादी इधर से उधर आने जाने लगी । दूसरे देशों से तिजारत करने के लिए कम्पनियाँ बनाई गईं । ये अफवाहें या खबरें सुन कर कि दूसरे देशों में नाकर जल्दी से खूब धन कमाया जा सकता है, लोगों के दिमा फिरने लगेxxxसारी अंगरेज़ कोम इतनी बेपढ़ी थी कि पार्लिमेण्ट के बहुत से हाउस ऑफ लॉर्डस के मेम्बर तक न लिख सकते थे और न पढ़ सकते थेxxx ईसाई पादरियों मे भयंकर दुराचार फैला हुआ था। खुले तौर पर कहा जाता था कि इंगलिस्तान में एक लाख औरतें ऐसी हैं, जिन्हें पादरियों ने खराब कर रक्खा है।xxxकोई पादरी यदि बुरे से बुरा भी जुर्म करता था तो उसे केवल थोड़ा सा जुरमाना देना पड़ता था। मनुष्य हत्या के लिए पादरियों को केवल छै शिलिंग आठ पेन्स (करीब पाँच रुपए ) जुरमाना देना पड़ता था।xxx सत्रहवीं