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भारत में अंगरेज़ी राज

२८२ भारत में अंगरजो राज (४) जब तक अंगरेज़ इन शतों को पूरा न कर दें तब तक के लिए दो अंगरेज अफसर बतौर बन्धक मराठों के पास कैद रहेंगे। सन्धि पर बाजाब्ता दोनों ओर के सेनापतियों के दस्तखत हो गए और कम्पनी तथा पेशवा दरबार दोनों की मोहर लग गई। राघोबा और दो अंगरेज़ मराठों के हवाले कर दिए गए। करनल गॉडर्ड के नाम पत्र लिखकर पूना दरबार के एक वकील के सुपुर्द कर दिया गया। नाना फड़नवीस ने राघोवा और उसके साथ दोनों अंगरेजों को माधोजी सींधिया (महादजी सोंधिया) के हवाले कर दिया। किन्तु अंगरेज़ अब भी अपने छल से बाज न पाए । बम्बई इस पहुँचते ही उन्होंने उस पत्र को रद्द करने के लिए दूसरी सन्धि का जो हाल की सन्धि के अनुसार मराठा वकील ___उल्लङ्घन की मारफ़त करनल गॉडर्ड के पास भेज दिया गया था, करनल गॉडर्ड को एक और गुप्त पत्र भेजा और उसमें लिखा कि आप जितनी जल्दी हो सके बम्बई पहुँच जाइये। बम्बई की अंगरेजी सेना की हार का समाचार सुनकर करनल गॉडर्ड पहले सूरत की ओर बढ़ा। फरवरी को पूना दवार का वकील अंगरेज सेनापति के पत्र सहित गॉडर्ड से जा मिला । वकील ने पत्र देकर गॉडर्ड पर बंगाल लौट जाने के लिए जोर दिया। गॉडई यह झूठ बोल कर कि मेरो सेना का उद्देश पेशवा सरकार से लड़ना नहीं है, बल्कि उससे मित्रता कायम रखना और फ्रांसीसियों का मुकाबला करना है, बराबर आगे बढ़ता गया।