पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/५९१

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३१५
हैदरअली

३१५ शासन प्रबन्ध और सुधार हैदरअली की खबर सुन कर उसे मैसूर के पास सीरा प्रान्त का सूबेदार नियुक्त कर दिया। मैसूर दरबार को हालत पिछली आपसी लड़ाइयों के सबद उस समय खासी बिगड़ी हुई थी। हैदर ने सबसे ५ पहले राज की माली हालत की ओर ध्यान दिया। रियासत के आधिकांश ज़ेवर और जवाहरात श्रीरंगपट्टन के एक धनाड्य साहूकार के घर में गिरवी पड़े हुए थे। साहकार ने कई मौको पर रियासत को बड़ी बड़ी रकम कर्ज दी थीं। रियासत से उसने बेहद धन कमाया था। अपने धन के लिए वह टूर दूर तक मशहूर था । कहा जाता है कि उसके बच्चों के पालले ठोस सोने के बने हुए थे और ठोस सोने ही की जञ्जीरों से लटके रहते थे। हैदरअली ने आज्ञा दी कि उसका कर्ज चुका दिया जाय और रियासत का सामान उसके यहाँ से ले लिया जाय। हिसाब की जाँच पड़ताल के लिए पञ्च मुकर्रर किए गए । पञ्चों की रिपोर्ट से मालूम हुआ कि साहूकार के हिसाब में काफी बेईमानी और जालसाज़ी है। पञ्चों ही ने फैसला किया कि साहकार की तमाम सम्पत्ति जब्त कर ली जाय और उसे आजन्म कैद रक्खा जाय । हैदरअली ने उसकी सम्पत्ति जब्त कर ली, किन्तु उस कैद करने के बजाय उसके गुज़ारे के लिए एक पेन्शन नियत कर दी और उसके बेटों को रियासत के अन्दर अच्छे अच्छे श्रोहदों पर नियुक्त कर दिया। मालगुजारी की वसूली और राज के खर्च का हैदरअली ने बहुत सुन्दर प्रबन्ध कर दिया।