हैदरअली ३२३ पर हमला करने के बहाने निज़ाम ने अपनी तमाम सेना को हैदर और अंगरेजो की सेना के बीच में लाकर खड़ा कर दिया। थोड़ी ही देर बाद निज़ाम ने अपनी सेना को इस बुरो तरह पीछे की ओर भगाया कि हेदर की तमाम सेना में खलबली मच गई। हैदरअली को अब पूरी तरह निज़ाम के विश्वासघात का पता चल गया । उसे मजबूर होकर अपनी सेना कुछ दूर पीछे हटा लेनी पड़ी। फिर भी हैदर के एक सिपाही को भी गिरफ्तार करने का अंगरेजों को मौका न मिल सका और न जनरल स्मिथ को आगे बढ़कर हैदर पर हमला करने का साहस हुआ। हैदर के इस तरह पीछे हटने को उसको पराजय बताकर अंगरेजों ने खूब बढ़ा कर इस खबर को दूर दूर तक फैला दिया। यहाँ पर युद्ध के प्रसङ्ग से हटकर हम हैदरअली और उसकी बूढ़ी माँ के सम्बन्ध की एक घटना बयान करना हैदरअली की माँ चाहते हैं। हैदर की माँ उस समय लड़ाई के मैदान से करीब दो सौ मोल दूर हैदरनगर के महल में थी। बेटे की इस पराजय की ख़बर उसके कानों तक पहुँची। वह फौरन पालको में बैठकर अपने बेटे को हिम्मत दिलाने के लिए हैदरनगर से चल पड़ी। बरसात के दिन, उस जमाने की यात्रा के कष्ट और उस पर लड़ाई का मैदान । फिर भी रात दिन चलकर बूढ़ी माँ चन्द रोज़ के अन्दर ही अपने बेटे की सेना के निकट आ पहुँची। खबर पाते ही हैदर अपने छोटे बेटों सहित स्वागत के लिए आगे बढ़ा। माँ के साथ करीब एक हजार सिपाही घोड़ों और ऊँटों पर,
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