पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/६१

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वे और हम

व और हम कि इंगलिस्तान से हजारों जवान लड़कों और लडकियों को हर साल पकड़ पकड कर अपने सानाज्य के दूसरे हिस्सों में लेजाकर गुलाम बना कर बेचते रहे । एक ज़माना था जब कि रोमन साम्राज्य भर में किसी देश के गुलामों की इतनी साँग न थी जितनी ब्रिटिश गुलामों की। सभ्यता या संस्कृति की तीसरी लहर जो ऐतिहासिक समय के अन्दर इंगलिस्तान के किनारों से जाकर टकराई ईसा की सातवी सदी में इंगलिस्तान निवासियों का ईसाई धर्म स्वीकार करना था। किन्तु ईसाई धर्म से भी अपनी अनुन्नत अवस्था के कारण इंगलिस्तान निवासियों ने सिवाय भद्दे भद्दे मूढ विश्वासों, प्रतिमा पूजा, साम्प्रदायिक पक्षपात और कलह के उस समय और कुछ न मोखा । इसके बाद यूरोप में अरयों का समय प्राया । श्राधे यूरोप के ऊपर अरबों का साम्राज्य कायम हो गया । सभ्यता, विज्ञान, शिक्षा, कला कौशल और समृद्धि की दृष्टि से यूरोप ने कभी उससे पहले इतने अच्छे दिन न देखे थे। ईगलिस्तान कई कारणों से इस अरव साम्राज्य से बाहर रहा है किन्तु यूरोप के बड़े से बड़े विद्यालय अरब प्रोफेसरों से भरे हुए थे और अग्बी ही सारे यूरोप की सर्वोच्च शिक्षा का माध्यम थी। ईसा की दसवीं और ग्यारहवीं सदियों में इंगलिस्तान का कोई मनुष्य उस समय नक शिक्षित न माना जा सकता था जब तक कि वह अरबी भाषा से अच्छी तरह परिचित न हो। किन्तु थोड़े दिनों के अन्दर ही यूरोप की संकीर्ण धार्मिक प्रवृत्तियों ने अरबों के इस असर का भी खात्मा कर दिया। इसके बाद जो करीब एक हजार साल का समय तमाम यूरोप मे अंधकार युग (dark ages) के नाम से