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३३४
भारत में अंगरेज़ी राज

३३४ भारत में अंगरेजी राज १५ अप्रैल सन् १७६४ को अंगरेजों, सुलतान हैदरअली और अरकाट के नवाबमोहम्मदअली के दरमियान दो सीरा के सूबेदार अलग अलग सुलहनामे लिखे गए और हर और बादशाह सोलन सुलहनामे पर तीनों के दस्तखत हुए। सन्धि अब तक की सन्धियाँ ईस्ट इण्डिया कम्पनी और भारतीय नरेशो के बीच हुआ करती थीं। हैदरअली ने कम्पनी के किसी तरह के राजनैतिक अस्तित्व ही को स्वीकार करने से इनकार किया। इसलिए इनमें पहला सुलहनामा इंगलिस्तान के बादशाह के नाम से, जिस तरह हैदर ने चाहा उस तरह लिखा गया। इस सन्धि में तय हुआ कि इंगलिस्तान के बादशाह तीसरे जॉर्ज और सीरा प्रान्त के सूबेदार हैदरअली खाँ और इन दोनों की प्रजा के बीच सदा अमन और मित्रता कायम रहेगी, इत्यादि । हैदरअली का जो कुछ इलाका युद्ध के शुरू में अंगरेजों ने ले लिया था और जिसे हैदरअली फिर से विजय कर चुका था, वह सब हैदरअली के पास रहा और अंगरेजों का जो कुछ इलाका हाल में हैदरअली ने जीत लिया था, वह उसने अंगरेजों को लौटा दिया। केवल कारूड़ का प्रान्त, जो अंगरेजों के दोस्त अरकाट के नवाब मोहम्मदअली के राज में शामिल था, अंगरेजों ने उससे लेकर सदा के लिए हैदरअली की नज़र कर दिया । युद्ध के man the private houses of Madras were at his mercy In the panic which is arrnval had caused, the fort itself might have fallen He was in a position tc dictate his own terms, and, virtually, he did dictate them. "--The Deciste Battles of India, Br Colonel Malleson, p 230