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भारत में अंगरेज़ी राज

३७२ भारत में अंगरेजी राजा थे। पादरी डब्ल्यु० एच० हदन लिखता है कि अंगरेज़ माताएँ टीपू का नाम ले लेकर अपने शरीर बच्चों को चुए कराती थी ।* ___ इसके अलावा टीपू के साथ कम्पनी के युद्ध छेड़ने की एक और जबरदस्त वजह थी। अमरीका की संयुक्त रियासतें' किसी समय इंगलिस्तान के अधीन थीं। किन्तु वहाँ के बाशिन्दे अधिकतर यूरोप ही के अलग अलग देशों से जाकर बसे थे। उन्होंने अपनी आजादी के लिए युद्ध किया। भयङ्कर रक्तपात हुआ। अन्त में इंगलिस्तान हारा और अमरीका की 'संयुक्त रियासते' सदा के लिए ब्रिटिश साम्राज्य से अलग और आजाद हो गई। इंगलिस्तान को कीर्ति को इस घटना से खासा धक्का पहुँचा । तुरन्त इंगलिस्तान के शासकों ने अपनी कौम के यश को फिर से कायम करने और इस कमी को पूरा करने के लिए हिन्दोस्तान में अपना राज बढ़ाने का फैसला किया। लॉर्ड कॉर्नवालिस को जो हिदायते देकर भारत भेजा गया, उनमें से एक यह थी कि जितनी जल्दी हो सके भारत में अमरीका की कमी को पूरा करने का यत्न किया जाय। ये सब बातें उस समय के सरकारी पत्र व्यवहार में बिलकुल स्पष्ट हैं। कॉर्नवालिस ने भारत पहुंचते ही टीपू के साथ युद्ध की तैयारी शुरू कर दी। टीपू एक वीर और सुयोग्य शासक टीपू के साथ युद्ध था। उसने अपनी प्रजा के साथ कभी बुरा की तैयारी - व्यवहार नहीं किया। उसके राज में चारों ओर वह उन्नति और खुशहाली नजर अाती थी जो उस समय के ब्रिटिश

  • Ma quresr of Wellestey, P 32.