लॉर्ड कॉर्नवालिस ३-४ सर टामस मनरो, जो हिन्दोस्तान के दूसरे हिम्सो से भी अच्छी तरह परिचित था, लिखता है :--- "हिन्दोस्तान के हर गाँव में एक बाकायदा पंचायत ( म्युनिम्मि पैल्टी) होती थी, जो गॉव की मालगुजारी और पुलिस दोनों का इन्तजाम करती थी और जो बहुत बड़े दरजे तक, मुजरिमों को सजा देने और मुकदमों के फ़ैसला करने का भी काम करती थी ।" ___ सर टॉमस मनरो ने बड़े विस्तार के साथ बयान किया है कि इन सुसङ्गठित ग्राम पञ्चायतों में कौन कौन कर्मचारी होते थे, उनके क्या क्या अधिकार और क्या क्या कर्तव्य होते थे, गाँव की मालगुजारी वसूल करने वाले ( कलक्टर ) और गाँव में अमन अामान कायम रखने वाले ( मैजिस्ट्रेट ) दो अलग अलग अफसर एक दूसरे से बिल्कुल स्वतन्त्र होते थे। ग्राम निवासियों के जान माल की रक्षा के लिए हर पञ्चायत के अधीन 'तहागे (?) यानी काँस्टेबलों का एक दल होता था, इत्यादि। टॉरेन्स लिखता है कि भारत की इन ग्राम पंचायतों में सबसे विचित्र व्यवस्था जूरियों की थी। दीवानी और फौजदारी हर मुकदमें के लिए अलग अलग जूरी था अस्थाई पञ्च चुने जाते थे। इनका फैसला सबके लिए मान्य होता था। इन्हें जनता चुनती थी। उच्च से उच्च चरित्र, साहस और त्याग वाले मनुष्य इन अ " In all Indian villages thereas 11egularly constituted i n pthi by luch its all airs, both ot revenue and police, Here dmani-tered । whah everrised, to a r erryiert titeni, Vistian and Judit laul ruthorith -Sir Thomas Munro, Ibad, ?? 102
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