पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/६९२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
४१०
भारत में अंगरेज़ी राज

४१० भारत में अंगरेजी राज कम्पनी के रास्ते का दूसरा ज़बरदस्त काँटा नाना फड़नवीस अभी मौजूद था। माधोजी सीधिया की हत्या पेशवा माधाराध के बाद महाराष्ट्र के अन्दर नाना और उसकी नारायन की मृत्यु ॐ नीति की कद्र और अधिक बढ़ गई ! चार्ल्स मैलेट ने पूना सं एक पत्र में लिखा कि-"जब तक पूना दरबार में नाना का ज़ोर है, तब तक मराठा राज के अन्दर मज़बूती से अपने पैर जमा सकने की हमें ( अंगरेज़ो को ) सपने में भी आशा नहीं करनी चाहिए !" ___नाना फड़नवीस के खिलाफ अंगरेजो ने कई बार साज़िशे की, किन्तु सफलता न मिल सको । पेशवा माधोराव नारायन पूरी तरह नाना के कहने में था। विना उसे मसनद से हटाए कम्पनी को अपनी इच्छा पूरी करने के लिए अनुकूल अवसर न मिल सकता था । २७ अकबर सन् १७६५ को कम्पनी के सौभाग्य से पेशवा माधोराव दूसरा ( माधोराव नारायन ) अपने महल के छज्जे से गिर कर मर गया । इस पेशवा को मृत्यु के सम्बन्ध में प्रॉण्ट डफ़ लिखता है कि-"२५ अक्तूबर को सवेरे पेशवा जान बूझकर अपने महल के एक छज्जे से कूद पड़ा, उसके दो अंगों की हड्डियाँ टूट गई और एक फव्वारे की नली से, जिसके ऊपर वह आकर पड़ा, वह बहुत ज़ख्मी हो गया। इसके बाद वह केवल दो दिन जिया।" - - - - - - - - - - " ! lou is and r und Supreme tt tite Patil Cout they | the Brities should never lream ot obtaining hriyl tooting in thi Maratta hinyelkom '- ( httles Aalet P rant Duri Hists, ley th Alar tattas, p_521