४२२ भारत में अगरेजी राज लखनऊ पहुँच कर बाज़ाब्ता तहकीकात (?) करके वजह यह बताई गई कि वज़ीरअली की पैदाइश नाजायज़ है (!)। २१ फरवरी सन् १७६ को १७ शतों की एक सन्धि सादत अली और सर जॉन शोर के बीच लिखी गई । मुख्य शर्ते ये थी :-- xxri शदतथली कम्पनी की बकाया अदा करे, इलाहाबाद का किला कार के खर्च प और उसकी मरम्मत के लिए पाठ लाख रुपए दे, फतहगढ़ के मासफुहँ मरम्मत के लिए तीन लाख रुपए दे, फ़ौजों के इधर से उधर आने श्राने का खर्च दे-कितने लाख, यह बाद में तय किया जावेगा सादतअली को नवाब वजीर बनाने मे कम्पनी का जो खर्च हुआ है उसके लिए वह कम्पनी को बारह लाख रुपए दे, पदच्युत वज़ीरअली को डेढ़ लाख रुपए की पेन्शन दे, xxx और सब्सीडीयरी सेना के खर्च के लिए ५६ लाख सालाना की रकम को बढ़ा कर ७६ लाख कर दिया जावे।"* मेजर बडे लिखता है कि इस तरह "कुल मिला कर दस लाख पाउण्ड (१ करोड़ रुपए से ऊपर) और इलाहावाद का किला एक साल के अन्दर कम्पनी को मिल गया।"* ___ एक शर्त यह भी थी कि सिवाय कम्पनी के आदमियों के और कोई यूरोपियन आइन्दा अवध के राज में रहने न पावे। ___इस समस्त सन्धि में शुरू से आखीर तक केवल 'रुपयो' और Alts arth, iltut princt was deposed and Saadat All was protlaimed, in has Stead, at Lucknow, on the 21st Jultury, 1798--Dacottee tu Extelses , or the Spothatson of Ordh, by the East Intru Company, -by Mijo1 JBirt, Assistant Resident at Lucknow
- Dacontee in Excelsrs. PP 35-38