पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/९६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
६८
पुस्तक प्रवेश

पुस्तक प्रवेश (२) यह कि इतिहास लेखक विल्कस के अनुसार इराक का गवरनर हजाज अपने देश में तेज़ मिज़ाज मशहूर था और इराक के अनेक मुसलमानों ने उसकी सख़्तियों से भाग कर भारत के दक्खिन में कोकण और रासकुसारी आदि स्थानों में आश्रय लिया था। (३) यह कि इतिहास से पता चलता है कि मोहम्मद बिन कासिम सिन्ध के अन्दर अपनी हिन्दू और मुसलमान मजा के साथ एक समान निष्पक्ष व्यवहार करता था। सिन्ध विजय के बाद उसने हजाज से लिख कर पूछा कि यहाँ के लोगों के साथ कैसा व्यवहार किया जावे । हज्जाज ने उत्तर दिया- ____ "जब कि उन लोगों ने आत्मसमर्पण कर दिया है और खलीका को टैक्स देना मंजूर कर लिया है तो उनसे और कुछ भी चाहना जायज नहीं है । हमने उन्हें अपनी हिफाज़त में ले लिया है, और हम किसी तरह भी उनके जान या माल पर हाथ नहीं उठा सकते । उन्हें अपने देवताओं की पूजा करने की इजाजत दी जाती है । हरगिज़ किसी शख्स को भी न अपने धर्म का पालन करने से मना करना चाहिये और न रोकना चाहिये । अपने घरों में वे जिस तरह चाहें रहे ।" डॉक्टर बेनीप्रसाद ने अपनी पुस्तक 'जहाँगीर के इतिहास में लिखा है कि--"८ वीं सदी में मोहम्मद बिन कासिम की सिन्ध पर हुकूमत नरमी और धार्मिक उदारता की एक जीती जागती मिसाल थी।" "The History of Meisteral India " by Ishwari Prasad, P 52, 53 + "Mohammad Bin Qasim's admarstration of Sindh in the 8th century was a shining example of moderation and tolerance "-History of Jehanger, by Dr Beniprasad, p. 89