पृष्ठ:भारत में इस्लाम.djvu/२८

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अधिपति का लड़का युकला भी क़ल्मा पढ़ कर अब्दुल्ला हो गया। उसने अपने चचा के बेटे थ्योडस को भी अपना साथी बनाना चाहा, जो एजाज के किले का स्वामी था। अब्दुल्ला सौ मुसलमानों को लेकर वहाँ पहुँचा। पर थ्योडस सावधान हो गया था। उसने इन सब को कैद कर लिया। परन्तु थ्योडस का बेटा युकला की लड़की पर मोहित था। उसने कहा कि यदि आप अपनी लड़की की शादी मेरे साथ कर दें तो मैं आपको साथियों सहित छुड़ा दूँ और स्वयं भी मुसलमान हो जाऊँ। युकला ने यह बात स्वीकार कर ली। अतः उस पितृ-द्रोही ने उन्हें छुड़ाकर हथियार भी दे दिये। किला अन्त में मुसलमानों के हाथ आ गया और थ्योडस के पुत्र ने अपने पिता को भी क़त्ल कर दिया।

अब सीरिया का राजधानी अन्ताकिया पर धावा बोलने का निश्चय हुआ और इसके लिए यह जाल रचा गया कि युकला अपने सौ साथियों समेत ईसाइयों के भेष में अन्ताकिया जा पहुँचा और बादशाह हरक्यूलस से कहा कि मुसलमानों ने मुझे लूट लिया है, मैं जान बचाकर आपकी शरण आया हूँ। बादशाह ने कहा---"तुम तो मुसलमान हो गये थे?" उसने कहा---"यह सब जान बचाने के लिए झूठ-मूठ किया था।" बादशाह ने उस पर विश्वास कर सौ साथियों समेत उसे अपने पास रख लिया और अन्त में अपना मन्त्री बना लिया। इसके बाद कुछ और मुसलमान क़ैद करके किले में लाये गये। इस प्रकार जब काफ़ी मुसलमान किले में हो गये, तब अबू अबीदा ने हमला बोल दिया। बादशाह युकला की सम्मति से काम करता रहा। अन्त में, अवसर पाकर उसके साथियों ने फाटक खोल दिया। मुसलमान 'अल्लाहो अकबर' का नारा लगाते भीतर घुस आये। बादशाह सिर धुनता जहाज पर सवार हो कुस्तुन्तुनिया भाग गया।

अब योहला ईसाई-वेश में साथियों समेत त्रिपली जा पहुँचा। वहाँ के लोग उसके मुसलमान बनने और छल-कपट की बात नहीं जानते थे। उन्होंने उसे बादशाह का सेनापति समझ कर बड़ा सत्कार किया। अवसर पाकर उसने फाटक खोल कर तथा मुसलमानों को बुलाकर किला फ़तह करा लिया। इसी प्रकार धोखे से उसने वाहर को भी फ़तह कराया।

इसी बीच में देश में भयानक महामारी फैली और उसमें देश भर