४६ इस प्रकार जब कोई आयत किसी के विरुद्ध आती है तो पूर्व आयतें मन्सूख मानी जाती हैं। इस भाँति कुनि की आयतों के 'नासिख' और 'मनसूख' दो भेद हैं। 'नस्ख' धातु से नासिख और मनसूख शब्द बना है जिसका अर्थ मिटाना, बदलना, स्नाना नाशित करना आदि हैं। कुरान शरीफ तीन लाख तेईस हजार पैंतालीस फ़रिश्तों द्वारा उतरा माना जाता है और उसमें सत्तर हजार विद्याओं का समावेश बताया जाता कुनि शरीफ़ में कुछ ऐसी भी बातें हैं जो अन्य धर्म-ग्रन्थों की दृष्टि से अनोखी सी प्रतीत होती हैं । सुनिए- १-खुदा आदमी को बहका देता है। २-खुदा सब से बड़ा कपटी है। ३-खुदा ने क़ाफ़िरों के दिलों पर मोहर लगा रक्खी है। ४-अगर खुदा चाहता तो सबको सीधा रास्ता दिखा देता । ५-खुदा ने प्रत्येक शहर में पापियों के सरदार छोड़ रखे हैं ताकि वे लोगों को बहकाते और धोखा देते रहें। ६-शैतान खुदा से कहता है कि जिस तरह तूने मुझे बहकाया उसी तरह मैं भी क़यामत तक क़ाफ़िरों को बहकाऊँगा। -खुदा ने क़यामत तक के लिये क़ाफ़िरों के दिलों में दुश्मनी और द्रोह भर दिया है। ८-खुदा घात में लगा रहता है। ६-बहिश्त में पीने को शराब और खाने को मांस तथा सत्तर हूरें और लौंडे मौज करने को मिलेंगे। १०-बहिश्त वाले भोजन तो करेंगे परन्तु पेशाब और पाखाना नहीं होगा। ११-बहिश्त वालों को सौ-सौ आदमी की काम-शक्ति भोग-विलास के लिये दी जायगी। इस्लाम के सम्बन्ध में सर्वोपरि यह बात तो हमें स्वीकार ही करनी होगी कि इस धर्म ने एक ईश्वर की सत्ता को सर्वोपरि माना और मूर्तिपूजा तथा भांति-भांति की उपासनाओं को बलपूर्वक रोका। इस्लाम धर्म की
पृष्ठ:भारत में इस्लाम.djvu/५५
दिखावट