पृष्ठ:भारत में इस्लाम.djvu/६२

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किनारे कई बन्दरों की स्थापना की थी। ईरान के बादशाहों ने फ़ारस की खाड़ी में कई बन्दरगाह इसी इरादे से बनाये थे। राम और यूनान के विद्वानों को भारत के भूगोल का भलीभाँति परिचय था। प्यूटिंगीरियन टेबल्स नामक पुस्तक से पता लगता है कि मसीह की तीसरी शताब्दी में करेगानोर में रोमन लोगों की बस्ती थी और मिस्र के बन्दरगाह सिकन्दरिया में हिन्दुओं की आबादी थी, जिन्हें रोमन सम्राट काशकल्ला ने तीसरी शताब्दी में क़त्ल करा दिया था।

ईरानियों ने दज़ला और फ़रात के दहाने पर, बसरे के निकट, ओबोला का बन्दरगाह बनाया था।

अरब और भारत का व्यापार बहुत घनिष्ट था। उनके देश में पच्छिम तट पर बहुत से बन्दरगाह थे । दक्षिण में ऊदभ और पूर्व में सेहुर प्रधान थे। अरबी मल्लाह बहुधा भारतीय नौकाओं पर नौकरी करते थे और इस समुद्र के दोनों तटों पर इनकी बस्तियाँ थीं। रेनों के मत से चौदहवीं शताब्दी तक अरबों का मालाबार तट पर वैसा ही आधिपत्य था जैसा कि बाद में पुर्तगीजों का हो गया।

इस्लाम धर्म के प्रचार होने पर अर्थात् मुहम्मद साहब के जन्म होने पर भी अरबों का यातायात बराबर भारत में बना रहा। परन्तु अब उनमें नई सभ्यता और नये आदर्शों का समावेश था।

यह बात हम सातवीं शताब्दि के मध्य भाग की कह रहे हैं क्योंकि सन् ६२९ में मक्का नगर ने मुहम्मद साहब की आधीनता स्वीकार की थी और सन् ६३२ में दो वर्ष बाद समस्त अरब ने। इसी सन् में हज़रत मुहम्मद मर गये। परन्तु सन् ६३६ में ईराक़ (मेसोपोटामिया) शाम (सीरिया) को अरबों ने विजय किया। और ६३७ में वैतुल मुक़द्दस (जेरूसलम) पर कब्ज़ा किया था। अन्ततः सातवीं शताब्दी के अन्त तक तमाम तातार और तुर्किस्तान तथा चीन की पूर्वी सरहद तक इस्लाम में मिल गया था। इसी बीच में पच्छिम में मिस्र, कार्थेज तथा समस्त उत्तरीय अफ़रीक़ा पर इस्लाम की फतह हो चुकी थी, और प्रबल रोमन साम्राज्य को चीर फाड़ डाला था और स्पेनों पर अपना अधिकार कर लिया था।

अरबों ने बड़ी तेजी से चारों ओर फैलना प्रारम्भ कर दिया तब उनकी