पृष्ठ:भाषा-भूषण.djvu/९१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

. 6 यहाँ ' बड़े क्या नहीं कर सकते ' इस सामान्य वाक्य का समर्थन रामजी के वर से पर्वत तैरते थे' इस विशेष वाक्य से किया गया है। जिस प्रकार विशेष से सामान्य का समर्थन होता है, उसी प्रकार विशेष का सामान्य से भी होता है और ये दोनों साधर्म्य या वैधयं द्वारा किए जाते हैं । भाषाभूषण का उदाहरण साधर्म्य द्वारा समर्थित है। १५५-जब विशेष बात का सामान्य तथा पुनः विशेष से समर्थन किया जाय । जैसे, कृष्णाजी ने गोवर्धन पर्वत धारण किया, सत्पुरुष सब भार (कष्ट ) सहन करते हैं, जिस प्रकार शेषनाग ( सहन करते हैं ) पहले गोवर्धन धारण' विशेष बात का समर्थन : सत्पुरुष के भार सहन सामान्य बात से किया गया और फिर इस सामान्य बात का 'शेषनाग के पृथ्वी-भार-धारण ' विशेष बात से समर्थन हुश्रा । भारती-भूषण में इसके दो भेद किए गए हैं अर्थात् जब अंतिम विशेष बात उपमान रूप में श्रावे या न श्रावे। भाषाभूषण का उदाहरण प्रथम भेद के अंतर्गत है १५६-जब उस्कर्ष का जो हेतु नहीं है वह हेतु कल्पित किया जाय । जैसे, बादलों से पूर्ण अमावस्या की रात्रि के अंधकार से तेरे बाल काले हैं। यहाँ रात्रि का अंधकार नायिका के बालों के कालेपन का कारण कल्पित किया गया है, जो वास्तविक कारण नहीं है। १५७- यदि ऐसा हो तो ऐसा हो' कहकर जब वर्णन किया जाय । जैसे, यदि शेषनाग वक्ता हो तो तुम्हारे गुणों ( के कथन ) का पार पा सकते हैं। अर्थात् इन सहस्रमुखो वक्ता को छोड़कर दूसरा नहीं कह सकता। ११८-जब एक असंभव बात का होना दूसरे असंभव बात पर निर्भर हो । जैसे, हाथ में पारद जब रहे तब ( भाशा करिए कि ) नववधू प्रीति करेगी।