पृष्ठ:भाषा-विज्ञान.pdf/८६

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! भाषाओं का वर्गीकरण एक हित्ताइट राज्य का पता लगा है। इसका काल ईसा से कोई चौदह हित्ताइट भाषा पंद्रह शताब्दी पूर्व माना जाता है। उसी काल को भाषा हिताइट ( अथवा हित्ती ) कही जाती है प्रो० साइस उसे सेमेटिक समझते हैं, पर प्रो० हाजनी उसे निश्चित रूप से भारोपीय परिवार की भाषा मानते हैं। हित्ताइट के समान ही यह भी केंटुमवर्ग की भाषा है और आधुनिक खोज का फल है । यह सेंट्रल एशिया के तुरफान को भाया है। इसका तुखारी भाषा अच्छा अध्ययन हुआ है और वह निश्चित रूप से भारोपीय मान ली गई है। उस पर यूराल-अल्ताई प्रभाव इतना अधिक पड़ा है कि अधिक विचार करने पर ही उसमें भारोपीय लक्षण देख पड़ते हैं । यद्यपि सर्वनाम और संख्यावाचक सर्वथा भारोपीय है तथापि उसमें संस्कृत की अपेक्षा व्यंजन कम हैं और संधि के नियम भी सरल हो गए हैं। संज्ञा के रूपों की रचना में विभक्ति की अपेक्षा प्रत्यय-संयोग ही अधिक मिलता है और क्रिया में कृदंतों का प्रचुर प्रयोग होता है । पर शब्द-भांडार बहुत कुछ संस्कृत से मिलता है। यद्यपि इस भाषा का पता जर्मन विद्वानों ने बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में लगाया है तथापि प्राचीन ग्रीक लोगों ने एक ताखारोइ जाति का और महाभारत ने भी एक तुखार जाति का वर्णन किया है। एल्बेनियन भाषा का भापा-वैज्ञानिकों ने अच्छा अध्ययन किया है और अब यह निश्चित हो गया है कि रूप और ध्वनि की विशेषताओं के कारण इसे एक भिन्न परिवार ही मानना एलवेनियन शाखा चाहिए 1 पर कुछ शिलालेखों को छोड़कर इस भाषा में कोई प्राचीन साहित्य नहीं है। किसी समय की विशाल शाखा इलीरियन की अब यही एक छोटी शाखा वच गई है और उसका भी सत्रहवीं ईसवी से पूर्व का कोई साहित्य नहीं मिलता । वह आजकल वालकन प्रायद्वीप के पश्चिमोत्तर में बोली जाती है। $