पृष्ठ:भाषा का प्रश्न.pdf/६१

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भाषा का प्रश्न हाँ, तो कहना यह है कि उर्दू के. आग्रह तथा हिंदोस्तानी के मोह के कारण सर जार्ज ग्रियर्सन की पैनी प्रतिभा भी कुठित हो गई है और फलतः उनका वर्गीकरण भी प्रमाद का कारण हो गया है। ग्रियर्सन साहव की मूल-हिंदी को राष्ट्र-भापा और हिंदोस्तानी की बच्ची हिंदी को काव्य-भाषा मान लेने से विरोध का समाधान अशतः हो जाता है। पर उससे नाम की गुत्थी सुलझ नहीं सकती। उन्होंने स्वयं कहा है कि हिंदी बोलचाल या व्यवहार की भाषा है और समस्त आर्यावर्त में बोली जाती है। देखिए :- "Hindi......A forin of the Hindosiani dialect of Western Hindi, widely spoken throughout Northern India." (वही पृ० ४५४)

सर जार्ज ग्रियर्सन के उक्त कथन का अर्थ यह हुआ कि हिंदी

की प्रकृति हिंदोस्तानी है जो मेरठ तथा उसके उत्तर में बोली जाती है। निवेदन है कि कृपया उसका भी कोई देशपरक नाम रख दीजिए जैसा कि अन्य भाषाओं का स्वतः रखा है। अस्तु, ग्रियर्सन साव चाहते तो उसे मेरठी आसानी से कह सकते थे। परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया। कारण प्रत्यक्ष है। उनके सामने 'उर्दू का कैंप या बाजारी अर्थ है। उन्हें बताना है १-उर्दू के बाजारी और लश्करी अर्थों के भक्तों को पता होना चाहिए कि बाजार तथा लश्कर में किस तरह के और कितने शब्द प्रयुक्त होते हैं। यदि उर्दू में सिर्फ लश्करी और बाजारी लफ्ज होते