पृष्ठ:भूगोल.djvu/१६८

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रामपुर राज्य अङ्क १५] १६७ का था किन्तु दैविक बुद्धि और वीरता के कारण वह उन्होंने इस प्रकार अली की जागीर पुत्रों के बीच काफी प्रसिद्ध होगया और बहुत से अफगान सर्दार बॉटी जिससे आपस में झगड़ा हो जाय । कुछ दिनों उसके सच्चे सहायक बन गए। अली ने दाऊद की की लड़ाई के पश्चात् फैजउल्ला खाँ नवाब बनाया सारी जागीरों पर अधिकार जमा लिया और बरैली गया । इसी समय से रामपुर का इतिहास प्रारम्भ तथा मुरादाबाद के गवर्नरों से दोस्ती कर ली । होता है। १७३९ में नादिर शाह का आक्रमण हुआ इस १७५८ में मरहठों ने पंजाब पर, फिर द्वाब पर समय इसने रिका अपना पर अधिकार जमाया । बरैली और रुहेलखण्ड पर हमला किया। रुहेलों ने अवध और मुरादाबाद के गवर्नरों ने नवाब को रोकना चाहा । नवाब से मदद चाही और दोनों ने मरहठों को इस पर युद्ध हुआ और दोनों गवर्नर मारे गये । भगा दिया । कुछ ही समय बाद १७६१ में पानीपत इस प्रकार रुहेलखण्ड का अधिकांश भाग मोहम्मद का तीसरा युद्ध हुआ जिसमें मरहठों की हार हुई खाँ के अधिकार में आ गया। उसके बाद नवाब ने जिसमें शिकोहाबाद फैजउल्ला की और जलेसर और पीलीभीत पर अधिकार जमालिया १७४३ में अली ने फीरोजाबाद सादुल्ला को मिला । १७७१ में विजनौर कमायूँ पर हमला किया और जीत कर गढ़वाल के पर मरहठों का आक्रमण हुआ। इस समय रुहेलों राजा को ठेके पर दे दिया । इस प्रकार नवाब को की बड़ी बुरी दशा हुई । उन्होंने नवाब अवध से उन्नति देख कर सफदर जंग वजीर अवध से चुप सहायता की अपील की पर उसने इन्कार कर दिया चाप न बैठा गया । उसने मोहम्मद शाह बादशाह किन्तु ब्रिटिश लोगों के बीच में पड़ने के कारण को लिखा कि वह रुहेलों के विरुद्ध चढ़ाई करे। अली नवाब अवध ने रुहेलों की सहायता करनी मान लिया। एक बादशाह के साथ चला गया और बादशाह ने रुहेलों ने ४० लाख देने का बचन दिया। किन्तु दों में उसे सरहिन्द की गवर्नरी पर नियुक्त किया। किन्तु से किसी भी पार्टी ने बचन पूरा न किया। मरहठों ने जब १७१८ में अहमद शाह अब्दाली ने भारत पर रुहेलों की बुरी गत की। आक्रमण किया तो अमीर मोहम्मद फिर रुहेलखण्ड कुछ समय पश्चात् नवाब अवध ने रहमत खाँ लौट आया । इसके सभी पुराने साथियों ने साथ से ४० लाख रुपया माँगा । रुहेलों ने इन्कार किया दिया । और इस प्रकार पुरानी जायदाद फिर मिल इस पर अंग्रेजों ने भी सहायता दी और नवाबों ने गई । १७४९ में अली मोहम्मद की मृत्यु हुई । रुहेलों पर हमला किया । रुहेलों की हार हुई । हफीज़ सादुल्ला तीसरा पुत्र अली के कथनानुसार रहमत खाँ मारा गया और नवाब फैजउल्ला खाँ मसनद पर बैठा किन्तु रुहेला सर्दारों में लड़ाई होने भाग कर बिजनौर के सरहद पर चला गया। किन्तु लगी । नवाब अवध ने आक्रमण किया किन्तु हफ़ीज़ अँग्रेजों की सलाह से संधि हो गई । जिसके अनुसार रहमत खाँ ने डट कर मुकाबिला किया। और १७५० नवाब फैजउल्ला खाँ को उसकी जायदाद वापस दे में वजीर अवध को हराया। किन्तु फिर सफदर जंग दी गई । १७७५ ई० में नवाव जउल्ला खाँ ने ने मरहठों की सहायता से हमला किया । और रामपुर नगर की नींव डाली और मुस्तफाबाद उर्फ रुहेलखण्ड को बर्बाद करता हुआ तराई तक खदेड़ रामपुर नाम रक्खा गया । लगभग २० साल राज्य ले गया किन्तु अहमदशाह के आक्रमण की बात करने बाद १७९३ में नवाब की मृत्यु हो गई। सुनकर १५७२ में दोनों ओर से संधि हो गई जिसके नवाब मोहम्मद अली खाँ नवाब बनाया गया अनुसार रुहेलों ने ४० लाख रुपया जुर्माना और ४ किन्तु रुहेल सर्दार उसके खिलाफ उसके गुलाम लाख रु० सालाना कर देने का वादा किया । माहम्मद खाँ को नवाब बानाना चाहते थे । इसीलिये अहमदशाह अब्दाली रास्ते ही से वापस चला १४ अगस्त १७९३ को ५०० रुहेले राज महल पर गया किन्तु अलो के पुत्रों अब्दुल्ला खाँ और चढ़ गये और नवाब को पकड़ ले गये और अंत में फैजुल्ला खाँ को छोड़ता गया । रहमत खाँ और उसके मार डाला । इस समय राज्य अंग्रेज अधिकारियों के साथी अपने अधिकार छोड़ना नहीं चाहते इसलिये हाथ में था। इसलिये एक सेना मोम्मद अली खो