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पृष्ठ:भूगोल.djvu/२३

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1 भूगोल [वर्ष १६ हैं। वायुवानों का स्टेशन बनाया जा रहा है। इसके काम आती है। यदि यह खर्च (जो ब्रिटिश सरकार रमणीक बनाने का बड़ा प्रयत्न किया जा रहा है। को अपने ऊपर लेना चाहिये ) ग्वालियर से ले लिया आशा को जाती है कि यह भारतवर्ष में अपने प्रकार जावे तो ग्वालियर राज्य में प्रजाहित के लिये रच- का एक ही होगा। नात्मक कार्य और तेजी से हो सकते हैं। ग्वालियर राज्य में ग्वालियर तथा उत्तरी भारत इस समय ग्वालियर राज्य ब्रिटिश सरकार के ट्रान्सपोर्ट कम्पनी है। यह मोटर वालों की एक बड़ी आधीन है । लेकिन जितनी सन्धियां ग्वालियर और भारी कम्पनी है। ग्वालियर के डाक वा तार का ईस्ट इंडियन कम्पनी या ब्रिटिश सरकार के बीच में अलग प्रबन्ध है। सिंचाई के लिये नहरों का अभी हुई हैं उनके अनुसार ग्वालियर राज्य को सर्वथा हाल ही में बड़ा अच्छा प्रबन्ध किया गया है जिससे स्वाधीन और ब्रिटिश सरकार की बराबरी का राज्य उजाड़ और ऊसर भूमि, एक हरी भरी उपजाऊ माना गया है । ग्वालियर में १८१६-२३ तक रहने वाले भूमि बना दी गई है । हासी और असोडा के बांधों अंग्रेजी रेजीडेन्ट (कर्नल क्लोज) ने लिखा था सिंधिया का काम अभी पूरा नहीं हुआ है इस में एक करोड़ ईस्टइंडिया कम्पनी से स्वतन्त्र और अलग है । ईस्ट- रुपया लगाया गया है। इससे ग्वालियर राज्य के एक इंडिया कम्पनी के सम्बन्ध में जो रिपोर्ट १८४० में बड़े भाग में सिंचाई होगी और किसानों को बड़ा प्रकाशित हुई उसमें लिखा है सिन्धिया हमारे साथ लाभ होगा। ग्वालियर, उज्जैन और शिवपुरी में बड़े मरहठा युद्ध में शामिल नहीं हुआ क्योंकि वह स्वतन्त्र बड़े विजली घर हैं । इन नगरों के कारखानों में राष्ट्र था । इसलिये ग्वालियर तथा हमारे बीच में पूर्ण बिजली से काम लिया जाता है । रुई साफ करने का स्वतन्त्रता की सन्धियां ज्यों की त्यों चली प्रारही हैं। यहां एक बड़ा कारखाना है और चन्देरो में सुन्दर गवालियर के उद्योग धन्धे मलमल बनता है। ग्वालियर के जङ्गलों में काफी ग्वालियर के उद्योग धन्धों को बढ़ाने के लिए संख्या में लाख पाया जाता है। यहां लोहा भी बहुत है स्वर्गीय माधो महाराज ने प्रदर्शक का काम किया । किन्तु लकड़ी की कमी के कारण वह काम में नहीं उन्होंने एक बार इस बात का प्रयत्न किया कि गङ्गा- यमुना चम्बल मार्ग से कलकत्ते से ग्वालियर तक मीधे ग्वालियर राज्य प्रारम्भ से अभी तक आर्थिक जहाज़ आ जावें । लेकिन बिना भारत सरकार के संकटों से दूर रहा । ग्वालियर के बजट में घाटा कभी सहयोग से इसमें सफलता की आशा न थी । आज से नहीं रहा। इस राज्य ने अपने कोष को रेलवे आदि ५० वर्ष पहले सिंधिया पेपर मिल्स नाम से यहां ठोस कामों में खर्च किया। राज्य के भिन्न भिन्न भाग कागज़ का एक कारखाना खोला गया । भीतरी कलह भौगोलिक दृष्टि से इस प्रकार फैले हुये हैं कि पुलिस पर और बाहरी संघर्ष के कारण यह बन्द हो गया । सारो श्राय का लगभग १८ फीसदा खर्च हो जाता है। आज कल यहां तम्बाकू, शक्कर, सीमेन्ट, कपड़ा, यह खर्च तो अनिवार्य है । लेकिन ग्वालियर राज्य मिट्टी के बर्तन चमड़ा आदि कई चीजों के बनाने के को अपनी आमदनी का बहुत बड़ा भाग (२७ फीसदी) कारखाने हैं। घरेलू धन्धों में कपास श्रोटना, सूत फौज पर खर्च होता है । लेकिन शान्ति स्थापित करने कातना, कपड़ा बुनना, निबाड़, दरी बनाना, धातु के के लिये इस फौज की कभी आवश्यकता नहीं पड़ती बर्तन बनाना, चमड़े के जूते बनाना आदि कई तरह है। यह फौज ब्रिटिश साम्राज्य के बाहरी मोर्चा के के काम होते हैं। लाया जा सकता।