काश्मीर भाग। काश्मीर राज्य देशी राज्यों में एक प्रधान राज्य बीच होकर भी एक मार्ग था किन्तु ग्लेशियरों के है। यह राज्य ३२.१७° से ३६.४८° उत्तरी अक्षांशों भय के कारण यह बन्द कर दिया गया। अधिक तथा ७३.२६° से ८०.३०° पूर्वी देशान्तरों के बीच पश्चिम-दक्षिण की ओर हुँजा और गिलगिट के स्थित है । इसके उत्तर में या कन्द और पामीर का मध्य तथा उत्तर में पामोर और बदखशों के बीच पठार, पूर्व में चीनी तिब्बत, दक्षिण में पजाब और बहुत से मार्ग हैं। पश्चिम में यागिस्तान है। यह राज्य ४०० मील लम्बा पीर पँजाल के दक्षिण के मैदान समुद्र तल से और ३०० मोल चौड़ा है। इसका क्षेत्रफल ८४,२५८ १००० से २००० फुट तक ऊंचे हैं। इन मैदानों में वर्गमील है और जनसंख्या ३,६५,००० है । कथुवा, जम्मू, ऊधमपुर, रिासी और मीरपुर के राज्य तीन प्राकृतिक भागों में विभाजित है (1) जिले बड़े उपजाऊ हैं। पवतों के मध्यवर्ती भाग में पीर पंजाल श्रेणी का दक्षिणी भाग (२) पीर पंजाल पूंच, राजौरी, रामबन और भद्रवाह आदि प्रदेश और काश्मीर और लद्दाख को अलग करने वाली बड़े उपजाऊ और घने बसे हैं। राज्य के भीतर उपज श्रेणी का मध्यवर्ती भाग (३) कराकोरम का दक्षिणी ऊँचाई के अनुसार होती है। राज्य में गेहूँ, जौ, मक्का, चाय, ऊख, केला, कपास आदि वस्तुओं की उपज होती है । बलूत, अखरोट और सनोवर आदि पेड़ों पीर पंजाल की श्रेणियां भारतवर्ष को काश्मीर बन हैं जहां भांति भांति के पशु-पक्षी निवास करते से अलग करती हैं । यह श्रेणियां चनाब नदी के हैं। राज्य में लोहा, कोयला, नीलम, गंधक, बिल्लौर दक्षिण-पूर्व से प्रारम्भ होती हैं और झेलम नदी शीशा, चूना, नमक, नांबा, चीनी मिट्टी इत्यादि के उत्तर-पश्चिम में जाकर समाप्त हो जाती हैं। खनिज पदार्थ राज्य में पाये जाते हैं । गिलगिट, श्रेणियों के तीन भाग हैं। यह एक दूसरे के समाना- करगिल, स्करदू आदि स्थानों पर सोना बालू न्तर फैली हुई हैं। इनके दक्षिण बाहरी पहाड़ियों पर कर निकाला जाता है। जम्मू नगर बमा है। दक्षिण की ओर यह पहाड़ियां काश्मीर में प्राकृतिक पानी की धाराओं की १०० या २०० फुद ही ऊँची हैं किन्तु उत्तर की ओर अधिकता है। इसलिये नहरों की आवश्यकता नहीं । यं इतनी ऊँची हैं कि इनमें से अधिकांश बरफ से केवल मतान, शराबकुल, शाहकुल और लालकुल ढकी रहती हैं। नहरें ऊँचे पहाड़ी स्थानों को सींचने के हेतु बनाई कगकोरम की श्रेणियाँ काश्मीर राज्य की उत्तरी गई हैं। चनाब नदी में अकनूर नामक स्थान पर सीमा बनाती हैं । ये श्रेणियां पूर्व की ओर तिब्बत के एक पुल १९३५ में बनाया गया है जिसमें ४ लाख उत्तर तक फैली हैं और पश्चिम में हिन्दुकुश पर्वत से लागत लगी है। यह भारतवर्ष में बिना स्तम्भों का मिल जाती हैं। ये श्रेणियां बहुत अधिक ऊँची हैं । सब से बड़ा पुल है। जम्मू प्रान्त में नहरों की बड़ी तिब्बत के उत्तर की श्रेणी के बारे में अधिक बातें ज्ञात आवश्यकता है। कई एक नहरें बन चुकी हैं जिनसे नहीं हैं किन्तु पश्चिम की श्रेणी में लद्दाख और यार. उजाड़ और ऊसर भूमि की जगह सुन्दर लहलहाते कन्द के बीच बहुत से दरें हैं। इन दरों के ऊपर होकर खेत बना दिये गये हैं। मीरपुर तहसील में मंगला जो कारवाँ-मार्ग गया है वह दुनिया भर में सबसे ऊँचा स्थान के समीप झेलम से नहर निकालने की योजना है। इनकी ऊँचाई अठारह से तीस हजार फुट तक है। ब्रिटिश सरकार ने तयार की है। इसमें लगभग तीन और यहां की चोटियों की ऊँचाई पच्चीस हजार से करोड़ का व्यय है। इससे काश्मीर राज्य और अट्ठाईस हजार तक है। चाँगचेमो और शायक की ब्रिटिश राज्य दोनों के ही प्रान्त सींचे जावेंगे । चनाब घाटियों से होकर दो प्रधान मार्ग गये हैं। ये मार्ग लेह नदी से प्रताप और रनवीर नाम की नहरें और रावी जाते हैं। सफरदू और यारकन्द के से काश्मीर नामक नहरें निकाली गई हैं। से साफ से यारकन्द
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