पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/१३

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भूतनाथ १२

माप लोगो की गिरफ्तारी का काम मेरे सुपुर्द किया तो मैं बहुत ही प्रसन्न हुया और ..

गुलाबसिंह अपनी बात पूरी न करने पाये थे कि लगभग चालीस पचास गज की दूरी पर मे मोटी वजने को आवाज आई जिसे सुनते हो तीनो चौक पदे और उसी तरफ देखने लगे । वेचारी इन्दु को दुश्मन का ध्यान पा गया और वह डरी हुई आवाज से बोलो,“यहा तक भाग पाने पर भी हम लोगो का गुटका न गया, इमी से मै कहतो थी कि जहा तक जल्द हा सके नौगढ की सरहद में हमे पहुच जाना चाहिये ।"

गुलाव० । (इन्दु से) टरो मत, हम दोनो क्षत्रियो के रहते किसको मजाल कि तुम्हें किमी तरह की तकलीफ पहुचा सके। इसके अतिरिक्त इस वात को भी समझ रक्सो कि आज दिन सिवाय उस बेईमान राजा के पोर काई तुम्हारा दुश्मन नही है और उसकी तरफ से इस काम के लिए मै ही भेजा गया हू, ऐसी अवस्या में किसो वास्तविक दुश्मन का ध्यान लाना वृया है, हा चोर डाकू मे मे यदि कोई हो तो मै नहीं कह सकता ।

इन्दु० । सैर पेडो को ग्राड में तो हो जाइए।

गुलाव । हा इसके लिए कोई हर्ज नहीं ।

इतने ही में पुन मोटी की आवाज आई, मगर अवको दफे की आवाज कुछ अजीव ढ ग की थी। मालूम होता था कि कोई बधे हुए इशारे के साथ झिरनी को आवाज देकर सीटी बुला रहा है । इस अावाज को सुन कर गुलाबसिंह हस पडा और इन्दु तथा प्रभाकरसिंह की तरफ देख के बोला, "वम मालूम हो गया,डरने की कोई जरूरत नहीं, क्योंकि यह मेरे एक दोस्त को वजाई हुई मोटी है । मैं अभी जरूरी बातो मे छुटी पा कर थोडी ही देर में आप लोगो मे कहने वाला था कि यहा मेरे एक दोस्त का मकानहे, जिनपे मिल कर आप बहुत प्रसन्न होगे और उनसे प्रापको सहायता भी पूरी पूरी मिल सकती है। मैं अब इस साटी का जवाव देता हू । बहुत ही अच्छा इप्रा जो अकस्मात वे खुद यहा या पहुंचे । मानूम हाता है कि मेरा यहा