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  • श्री *
भूतनाथ

उपन्यास

अथवा भूतनाथ की जीवनी

पहिला हिस्सा

पहिला बयान

मेरे पिता ने तो मेरा नाम गदाधरसिंह रक्खा था और बहुत दिनों तक मैं इसी नाम से प्रसिद्ध भी था परन्तु समय पड़ने पर मैने अपना नाम भूत- नाथ रख लिया था और इस समय यही नाम बहुत प्रसिद्ध हो रहा है। आज मै श्रीमान् महाराज सुरेन्द्रसिंहजी की प्राज्ञानुसार अपनी जीवनी लिखने बैठा हूँ, परन्तु मै इस जीवनी को वास्तव में जोवनी के ढंग और नियम पर न लिस कर उपन्यास के ढंग पर लिखूगा, क्योंकि यद्यपि लोगों का कथन यही है कि तेरी जीवनी से लोगो को नसीहत होगी,परन्तु ऐवो और भयानक घटनामो से भरी हुई मेरी नोरस जीवनी कदाचित लोगो को रुचिपर न हो, उस खयाल से जीवनी का रास्ता छोड इस लेख को उपन्यास के रूप में लाकर रस पैदा करना ही मुझे नावश्यक जान पड़ा। प्रेमी पाठक महाशय, यही समझे कि किसी दूसरे ही नादमी ने भूतनाथ का हाल लिखा है, स्वयम् भूतनाथ ने नही, अथवा इसका लेजक कोई और ही है।