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पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/६८

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[ ५९ ] इसी कारण इस ग्रंथ में इन दोनों वादशाहियों का स्वल्प रूप से कथन हुआ है और मुख्यांश में शिवाजी के दिल्ली से झगड़े का वर्णन है। __इस ग्रंथ के छंदों के स्वतंत्रतापूर्वक निर्मित होने के कारण इसमें प्राबल्य और गौरव विशेप आए हैं, और रसों के पूर्ण उदाहरण भी बहुत पाए जाते हैं। परंतु यहाँ भी भयानक रस का प्राधान्य है। रौद्र रस के छंद भी यत्र तत्र दृष्टिगोचर होते हैं, तथापि इसमें शुद्ध वीर रस के दो ही चार छन्द हैं। इसमें भूपण ने शत्रुओं की दुर्गति का बड़ा सुंदर चित्र खींचा है और शिवराज के प्रताप और आतंक के वर्णन भी बड़े ही विशद हैं। ___यह छोटा सा ग्रंथ बड़ा ही मनोहर है और इसके छंद कहीं कहीं शिवराजभूपण के छंदों से भी अधिक प्रभावोत्पादक हैं। इसकी जहाँ तक प्रशंसा की जाय, थोड़ी है। ___बावनी में कही हुई घटनाओं का चक्र इतिहासानुसार नीचे लिखा जाता है- किस सन् की घटना | छंद नंबर १६५५ ३० १६५८ १४, १५ १६५९ २७,३०, ३३ १६६३ २८ १६, १७ १६६९ २०, २२ १६७० २७ .१६७२ २५, १६ १६७४ ३४ ( अभिपेक) १६७५ ३६ १६७७ ३२,४४, ४५ - १६६६