पृष्ठ:मतिराम-ग्रंथावली.djvu/२१८

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मतिराम-ग्रंथावली

m २१४ मतिराम-ग्रंथावली a KHATIRG ContriyaRExtrainindiananew INISARGARHam r -in-myam owsenileinonevar iremememoiter as PAHARI . indaianimoon भूषन-चिंतामनि तहाँ, कबि-भूषण मतिराम- नप हमीर-सनमान ते कीन्हें निज-निज धाम । है पंती मतिराम के सुकबि बिहारीलाल; जगन्नाथ-नाती बिदित, सीतल-सुत, सुभ चाल । कस्यप-बंस, कनौजिया, बिदित त्रिपाठी गोत; कबिराजन के बृद में कोबिद सुमति-उदोत । बिबिध भाँति सनमान करि ल्याए चलि महिपाल; आए बिक्रम की सभा सुकबि बिहारीलाल।" इस टीका का रचना-काल निम्नलिखित दोहार्द्ध से प्रकट है- "दग२, मुनि, बसु, ससि१, वर्ष में, सिद्धि सोम, मधु-मास ।" सो यह रस-चंद्रिका संवत् १८७२ में बनी थी। इसके रचयिता के मतानुसार मतिरामजी के पुत्र का नाम जगन्नाथ, पौत्र का शीतल तथा प्रपौत्र का बिहारीलाल था। नवीन कवि ने भी बिहारीलाल को मतिराम का वंशज माना है । नवीन और बिहारीलाल का समय बहुत पास-पास है । इस वर्णन से स्पष्ट है कि शिवसिंहजी का दिया संवत् अशुद्ध है । उनका यह लिखना भी ठीक नहीं कि शीतल बिहारी के बाद के कवि हैं । इस वर्णन के अनुसार तो वह बिहारी के पिता थे। शिवसिंहसरोज के पृष्ठ ४३६ पर जिन रामदीन त्रिपाठी का उल्लेख है, वह संभवतः इन्हीं बिहारीलाल के पुत्र थे । यह सब होते हुए भी बिहारीलाल ने यह बात स्पष्ट रूप से नहीं लिखी है कि भूषण और चिंतामणि मतिराम के भाई थे। उनके वर्णन से तो यही ध्वनि निकलती है कि ये तीन कवि कहीं दूसरे स्थान से लाकर यहाँ सम्मान पूर्वक हमीर राजा द्वारा बसाए गए थे, और इन्होंने अपने-अपने घर यहाँ बना रक्खे थे। इससे यह अनुमान किया जा सकता है कि इन तीनों कवियों के घर अलग-अलग थे । ये भाई थे या नहीं, इस संबंध में बिहारीलाल भी कुछ नहीं कहते । जटाशंकर का इन्होंने भी उल्लेख MESSAG NERImmunny SMARTH