पृष्ठ:मतिराम-ग्रंथावली.djvu/२२०

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KOREASEANTRRESPETS APRIRAMMARHARMERem univinessmitawmmitmen d ian Poonamainin २१६ मतिराम-ग्रंथावली बातें 'तजकिरा सर्व आज़ाद हिंद' में लिखी हुई हैं । ऐसी दशा में यह स्पष्ट है कि गुलामअली को चितामणि के विषय की सच्ची बातें जानने का पूरा अवसर था। फिर बिलग्राम और टिकमापुर के बीच में फ़ासला भी बहुत दूर का नहीं है । जो हो, गुलामअली ने यह बात साफ़-साफ़ लिखी है कि चिंतामणि के दो भाई और थे, जिनके नाम मतिराम और भूषण थे । किंवदंती भी यही बात बतलाती है । ऐसी दशा में गुलामअली की बात पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं समझ पड़ता । इसलिये हम मतिराम, चिंतामणि और भूषण को सगा भाई तथा कश्यप-गोत्री त्रिपाठी और टिकमापुर का रहनेवाला मानते हैं । चिंतामणि का ‘भाषा-पिंगल'-नामक ग्रंथ हाल ही में हमको मिला है। इसमें शिवाजी के पितामह मकरंदशाह और उनके पिता शाहजी की प्रशंसा है। संभवतः चितामणि जहाँगीर के राजत्व-काल में कविता करते थे, और तीनो भाइयों में सबसे बड़े थे । मतिराम इनसे छोटे और भूषण सबसे छोट थे । इस बात के बहुत कम प्रमाण मिल रहे हैं कि जटाशंकर भी इनके भाई थे । सो उनको हम मतिराम का भाई नहीं मानते हैं । मतिराम और भूषण की कविता में भी ऐसा कुछ भाव-साम्य, भाषा-सादृश्य तथा लक्षण आदि की एकता है कि उससे भी इनके भ्रातृत्व की बात की पुष्टि होती है । कुछ वैसी सामग्री आगे दी जाती है। _ 'ललितललाम' और 'शिवराजभूषण', दोनो ही अलंकार-ग्रंथ हैं । दोनो ही में अलंकारों के लक्षण और उदाहरण दिए हुए हैं । दोनो कवियों के लक्षणों का ध्यान-पूर्वक मिलान करने से हमें उभय कवियों के लक्षणों में अद्भत सादृश्य दिखलाई पड़ा है । यह सादृश्य इतना अधिक बढ़ा हुआ है कि लक्षण-दोहे के अंतिम तुक भी मिल जाते हैं। किसी-किसी में तो कवि के नाम-भर का भेद रह जाता है। यों तो प्रत्येक आचार्य के लक्षण कुछ-न-कुछ मिल ही जाँयगे, पर तुक और Rulelio Taman comm arvasna memaneum Ramne naries SHAIL S