पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/११३

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( १०८ ) . (उ) "ता' प्रत्ययांत भाववाचक संज्ञाएँ; जैसे, नम्रता, लघुता, सुन्दरता, प्रभुता, जड़ता। ___.. (ऊ) इकारांत संज्ञाएँ; जैसे, विधि ( रीति), परिधि, राशि, रात्रि, अग्नि ( आग ), छबि, केलि, रुचि । अप०-चारि, जलधि, पाणि, गिरि, आदि। ३-उर्दू शब्द पुल्लिग (अ) जिसके अंत में “आब" होता है; जैसे, गुलाब, जुलाब, हिसाब, जवाब, कबाब । अप०-शराब, मिहराब, किताब, कमखाब । " (आ) जिनके अंत में "पार" या "आन" होता है; जैसे, बाजार, इकरार, इश्तहार, इनकार, अहसान, मकान । अ५०-दूकान, सरकार, (शासक-वर्ग), त फरार । (इ) जिनके अंत में "ह" होता है। हिंदी में "ह" बहुधा आ होकर अंत्य स्वर में मिल जाता है; जैसे, परदा, गुस्सा, किस्सा, रास्ता, चश्मा, तमगा ( तगमा )। अप०-दफा। स्त्रीलिंग (अ ) ईकारांत भाववाचक संज्ञाएँ ; जैसे, गरीबी, गरमी, सरदी, बीमारी, चालाकी । (आ) शकारांत संज्ञाएँ; जैसे,नालिश,कोशिश,लाश,तलाश । अप-ताश, होश।