पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/११५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

बाहु ( ११० ) तरसम सं.लि तद्भव . हि लिंक शरथ पु० सोह स्त्री० बहि वृंद २२०-अँगरेजी शब्दों के संबंध में लिंग-निर्णय के लिए बहुधा रूप और अर्थ, दोनों का विचार किया जाता है। (अ) कुछ शब्दों को उसी अर्थ के हिंदी शब्दों का लिंग्छ प्राप्त हुआ है; जैसे- कंपनी-मंडली-घी० नंबर-~अंक-पु. कोट--अंगरखा-पु. कमेटी-सभा-स्त्री० बूट-जूता-पु० लेक्चर--व्याख्यान--पुरु (आ) कई एक शब्द आकारांत होने के कारण पुल्लिंगा और ईकारांत होने के कारण स्त्रीलिंग हुए हैं; जैसे- पु०-सोडा, डेलटा, केमरा। स्त्री०--चिमनी, गिनी, म्युनिसिपैलटी, लायब्रेरी।। २२१-अधिकांश सामासिक शब्दों का लिंग अंत्य शब्द के लिंग के अनुसार होता है; जैसे, रसोई-घर (पु०), धर्म- शाला (स्त्री०), माँ-बाप (पु०)। २२२-सभा, पत्र, पुस्तक और स्थान के मुख्य नामों का लिंग बहुधा शब्द के रूप के अनुसार होता है; जैसे- . . "महासभा" (स्त्री०), "महामंडल" (पु०), "मर्यादा, (मो.), "प्रताप" (पु.), "रामकहानी" (स्त्री०), "रघुवंश" (पु.), "दिल्ली" (स्त्रो०), "यागरा" (पु.)।