पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/१३६

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( १३१ ) २६१-विभक्ति के द्वारा संज्ञा ( या सर्वनाम ) का जो संबंध क्रिया वा दूसरे शब्दों के साथ प्रकाशित होता है, वही संबंध कभी कभी संबंध-सूचक अव्यय के द्वारा भी प्रकाशित होता है; जैसे, "लड़का नहाने को गया है" अथवा "नहाने के लिए गया है" । तथापि संबंध-सूचक अव्यय एक प्रकार के स्वतंत्र शब्द हैं; इसलिए संबंध-सूचकांत संज्ञाओं को कारक नहीं कहते। इसके सिवा, कुछ विशेष प्रकार के मुख्य संबंधों ही को कारक मानते हैं, औरों को नहीं। . २६२-विभक्तियों के अर्थ में कभी कभी नीचे लिखे संबंध-सूचक अव्यय आते हैं- कर्म-कारक-प्रति, तई (पुरानी भाषा में )। करण-कारक-द्वारा, करके, जरिये, कारण, मारे । संप्रदान कारक-लिए, हेतु, निमित्त, अर्थ, वास्ते । अपादान-कारक-अपेक्षा, बनिस्बत, सामने, श्रागे, साथ । अधिकरण-कारक--मध्य, बीच, भीतर, अंदर, ऊपर । चौथा अध्याय सर्वनाम का रूपांतर ..... २६३-संज्ञाओं के समान सर्वनामों में वचन और कारक होते हैं; परंतु लिंग के कारण इनका रूप नहीं बदलता। .. ... . . २६४-विभक्ति-रहित कर्ता-कारक के बहुवचन में पुरुष-वाचक ( मैं, तू ) और निश्चयवाचक ( यह, वह ) सर्व- नामों को छोड़कर, शेष सर्वनामों का रूपांतर नहीं होता; जैसे,