पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/१४३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

.( १३८ ) [सू०-यह वह, सो, जो और कौन के विभक्ति-सहित कता. कारक के बहुवचन में जो दो दो रूप हैं, उनमें से दूसरा रूप अधिक शिष्ट समझा जाता है; जैसे, उन्होंने, जिन्होंने । ] . २७४-प्रश्नवाचक सर्वनाम “क्या" की कारक-रचना . नहीं होती। यह शब्द इसी रूप में केवल एकवचन ( विभक्ति- रहित ) कर्ता और कर्म में आता है; जैसे, "क्या गिरा ?" "तुम क्या चाहते हो ?" दूसरे कारकों के एकवचन में "क्या" के बदले व्रज-भाषा के “कहा" सर्वनाम का निकृत रूप "काहे" आता है। प्रश्नवाचक "क्या, कारक एक० क्या . कर्म क्या करण-अपादान काहे से संप्रदान . काहे को संबंध काहे का-के-की. अधिकरण . . . काहे में (अ) "काहे से" (अपादान ) "काहे को" (संप्रदान ) का प्रयोग बहुधा "क्यों" के अर्थ में होता है; जैसे, "तुम यह काहे से कहते हो?" "लड़का वहाँ काहे को गया ?" "काहे का" का अर्थ "किस चीज़ से बना है। २७५ -अनिश्चयवाचक सर्वनाम “कोई" यथार्थ में प्रश्न- वाचक सर्वनाम से बना है। इसका विकृत रूप "किसी। कर्ता