पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/१५५

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( १५० ) (१) कर्ता के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार जिस ‘क्रिया का रूपांतर होता है, उस क्रिया को कर्त्तरिप्रयोग कहते हैं; जैसे, मैं चलता हूँ, वह जाती है, लड़की कपड़ा सीती है। (२) जिस क्रिया के पुरुष, लिंग और वचन कर्म के पुरुष, लिंग और वचन के अनुसार होते हैं, उसे कर्मणिप्रयोग कहते __ हैं; जैसे, मैंने पुस्तक पढ़ी, पुस्तक पढ़ी गई, रानी ने पत्र लिखा। (३ ) जिस क्रिया के पुरुष, लिंग और वचन कर्ता वा . कर्म के अनुसार नहीं होते, अर्थात् जो सदा अन्य पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन में रहती है, उसे भावेप्रयोग कहते हैं; जैसे, रानी ने सहेलियों को बुलाया। मुझसे चला नहीं जाता। लड़के ने छींका। ... ३०३---सकर्मक क्रियाओं के भूतकालिक कृदंत से बने हुए कालों को छोड़कर क वाच्य के शेष कालों में और अकर्मक क्रियाओं के सब कालों में कर्त्तरिप्रयोग होता है; जैसे, हम जाते हैं, वह आवे, लड़कियाँ पुस्तक पढ़ेंगी। कतरिप्रयोग में कर्ता-कारक अप्रत्यय रहता है। अप०-(१) भूतकालिक कृदंत से बने हुए कालों में बोलना, भूलना, बकना, लाना, समझना और जनना सकर्मक क्रिय एँ कर्तरिप्रयोग में ____ पाती हैं; जैसे, लड़की कुछ न घोली, हम बहुत बके, गाय बछड़ा जनी। (२) नहाना, छींकना श्रादि अकर्मक क्रियाएँ भूतकालिक कृदंत से बने हुए कालों में भावेप्रयोग में आती हैं; जैसे, हमने नहाया है, लड़की ने छींका । . . . . . . .