( १६० ) (४) परोक्ष विधि के दो रूप होते हैं-(क) क्रिया- र्थक संज्ञा तद्वत् परोक्ष विधि होती है; (ख) आदर-सूचक विधि के अंत में ओ आदेश होता है; जैसे, "तू रहना सुख से पति-संग ।" "पिता, इस लता को मेरे ही समान गिनियो।" परोक्ष विधि केवल मध्यमपुरुष में आती है, और दोनों वचनों में एक ही रूप का प्रयोग होता है। पिछला रूप बहुधा कविता में आता है। ३२२-संयुक्त कालों की रचना में "होना" सहकारी क्रिया के रूपों का योग होता है, इसलिए ये रूप आगे लिखे जाते हैं। हिंदी में "होना" क्रिया के दो अर्थ हैं-(१) स्थिति (२) विकार । पहले अर्थ में इस क्रिया के केवल, दो काल होते हैं। दूसरे अर्थ में इसकी काल-रचना और क्रियाओं के समान होती है। . होना ( स्थितिदर्शक ) . (१) सामान्य वर्तमानकाल ___ कर्ता-पुल्लिंग वा स्त्रीलिंग बहुवचन हम हैं पुरुष एकवचन उ० पु० म० पु० ' तू है अ० पु० तुम हो Shco one shor HA
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